Saghar Khayyami Poetry

uTh chale vo to is men hairat kya


uTh chale vo to is men hairat kya

uTh chale vo to is men hairat kya
un ke aage vafa ki qimat kya

us ke kuche se ho ke aaya huun
is se achchhi hai koi jannat kya

shahr se vo nikalne vaale hain
sar pe TuTegi phir qayamat kya

tere bandon ki bandagi ki hai
ye ibadat nahin ibadat kya

koi puchhe ki ishq kya shai hai
kya bataen ki hai mohabbat kya

ansuon se likha hai ḳhat un ko
paḌh vo paenge ye ibarat kya

main kahin aur dil laga lunga
mat karo ishq is men hujjat kya

garm bazar hon jo nafrat ke
is zamane men dil ki qimat kya

kitne chehre lage hain chehron par
kya haqiqat hai aur siyasat kya
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उठ चले वो तो इस में हैरत क्या
उनके आगे वफ़ा की क़ीमत क्या

उसके कूचे से हो के आया हूँ
इस से अच्छी है कोई जन्नत क्या

शहर से वो निकलने वाले हैं
सर पे टूटेगी फिर क़यामत क्या

तेरे बंदों की बंदगी की है
ये इबादत नहीं इबादत क्या

कोई पूछे कि इश्क़ क्या शै है
क्या बताएँ कि है मोहब्बत क्या

आँसुओं से लिखा है ख़त उन को
पढ़ वो पाएँगे ये इबारत क्या

मैं कहीं और दिल लगा लूँगा
मत करो इश्क़ इस में हुज्जत क्या

गर्म बाज़ार हों जो नफ़रत के
इस ज़माने में दिल की क़ीमत क्या

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या



Poet - Saghar Khayyami
Location: Uttar Pradesh, India
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