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आख़िरी बार आह कर ली है · अभी इक शोर सा उठा है कहीं · ज़ब्त कर के हँसी को भूल गया · लम्हे लम्हे की ना-रसाई है · दिल परेशाँ है क्या किया जाए · इक साया मिरा मसीहा था · रूठा था तुझ से या'नी ख़ुद अपनी ख़ुशी से मैं ·
Buy Nowये दोनों बेहद रचनात्मक लोग हैं, जो उनके रिश्ते और व्यक्तिगत व्यक्तित्व का एक अंतरंग चित्र प्रस्तुत करते हैं। उनके पत्र उस समय के समाज की एक जीवंत तस्वीर भी पेश करते हैं। जिस तरह से वे रहते थे, उससे उनका आदान-प्रदान ऐतिहासिक रूप से अपरिहार्य हो गया।
Buy Nowऔरत के जज़्बात, एहसासात, दर्द, शिद्दत और मोहब्बत को अपने नर्म लहज़े व आम अलफ़ाज़ में मोती मोती पिरोकर ग़ज़ल व नज़्म में पेश करने वाली शायरा ‘परवीन शाकिर’ किसी तअर्रुफ़ की मोहताज नहीं हैं
Buy Now‘मंटो’ ने अपनी सबसे विवादित व चर्तित कहानी ‘ठंडा गोश्त’ पर अश्लीलता के आरोप व मुक़दमें की पूरी कहानी का आँखों देखा हाल को अपने ख़ास अंदाज़ में पेश किया है। जिसमें भारत विभाजन का दर्द, शरणार्थी केम्पों की कुव्यवस्था, अदालत की कार्रवाईयाँ, गवाहों की गवाहियाँ व अदालत की कार्यप्रणालियों का चित्रण प्रस्तुत करते हुए कहानी ‘ठंडा गोश्त’ के मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर तर्क सहित विस्तृत रूप से रोशनी डाली है।.
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