Ahmed Faraz Poetry

Iss Se Pehle K Bewafa Ho Jaye


Iss Se Pehle K Bewafa Ho Jaye

इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ

तू भी हीरे से बन गया पत्थर
हम भी कल जाने क्या से क्या हो जाएँ

तू कि यकता था बे-शुमार हुआ
हम भी टूटें तो जा-ब-जा हो जाएँ

हम भी मजबूरियों का उज़्र करें
फिर कहीं और मुब्तला हो जाएँ

हम अगर मंज़िलें न बन पाए
मंज़िलों तक का रास्ता हो जाएँ

देर से सोच में हैं परवाने
राख हो जाएँ या हवा हो जाएँ

इश्क़ भी खेल है नसीबों का
ख़ाक हो जाएँ कीमिया हो जाएँ

अब के गर तू मिले तो हम तुझ से
ऐसे लिपटें तिरी क़बा हो जाएँ

बंदगी हम ने छोड़ दी है 'फ़राज़'
क्या करें लोग जब ख़ुदा हो जाएँ

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Iss Se Pehle K Bewafa Ho Jaye
Q Na A Dost Hum Juda Ho Jaye

Tu B Heere Se Ban Gaya Patthar
Hum B Kal Jane Kia Se Kia Hojaye

Tu K Yakta Ta Beshumar Hua
Hum B Toote To Jabaja Ho Jaye

Hum B Majburiyo Ka Uzr Kare
Pir Kahe Aur Mubtila Ho Jaye

Hum Agar Manzile Na Ban Paye
Manzilo Takk Ka Rasta Hojaye

Dair Se Soch Mai Hai Parwane
Raak Ho Jaye Ya Hawa Hojaye

Ishq B Khel Hai Naseebo Ka
Khak Hojaye Keemya Hojaye

Ab K Gar Tu Mile To Hum Tujh Se
Aise Lipte Teri Qaba Hojaye

Bandagi Hum Ne Chorh Di Hai 'Faraz'
Kia Kare Log Jab Khuda Hojaye

Poet - Ahmed Faraz
Location: Kohat, British India (now in Pakistan)
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