Umair Najmi Poetry

Wo muh lgata hai jab koi kam hota hai


Wo muh lgata hai jab koi kam hota hai

वो मुँह लगाता है जब कोई काम होता है
जो उसका होता है समझो ग़ुलाम होता है

किसी का हो के दुबारा न आना मेरी तरफ़
मोहब्बतों में हलाला हराम होता है

इसे भी गिनते हैं हम लोग अहल-ए-ख़ाना में
हमारे याँ तो शजर का भी नाम होता है

तुझ ऐसे शख़्स के होते हैं ख़ास दोस्त बहुत
तुझ ऐसा शख़्स बहुत जल्द आम होता है

कभी लगी है तुम्हें कोई शाम आख़िरी शाम
हमारे साथ ये हर एक शाम होता है

Poet - Umair Najmi
Location: Rahim Yar Khan, Punjab, Pakistan
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