Tehzeeb Hafi Poetry

Safed shirt thi tum seedhiyon pe baithe the


Safed shirt thi tum seedhiyon pe baithe the

सफ़ेद शर्ट थी तुम सीढ़ियों पे बैठे थे
मैं जब क्लास से निकली थी मुस्कुराते हुए
हमारी पहली मुलाक़ात याद है ना तुम्हें?
इशारे करते थे तुम मुझको आते जाते हुए

तमाम रात को आँखे न भूलती थीं मुझे
कि जिनमें मेरे लिए इज़्ज़त और वक़ार दिखे
मुझे ये दुनिया बयाबान थी मगर इक दिन
तुम एक बार दिखे और बेशुमार दिखे

मुझे ये डर था कि तुम भी कहीं वो ही तो नहीं
जो जिस्म पर ही तमन्ना के दाग़ छोड़ते हैं
ख़ुदा का शुक्र कि तुम उनसे मुख़्तलिफ़ निकले
जो फूल तोड़ के ग़ुस्से में बाग़ छोड़ते हैं

ज़ियादा वक़्त न गुज़रा था इस तअल्लुक़ को
कि उसके बाद वो लम्हा करीं करीं आया
छुआ था तुमने मुझे और मुझे मोहब्बत पर
यक़ीन आया था लेकिन कभी नहीं आया

फिर उसके बाद मेरा नक्शा-ए-सुकूत गया
मैं कश्मकश में थी तुम मेरे कौन लगते हो
मैं अमृता तुम्हें सोचूँ तो मेरे साहिर हो
मैं फ़ारिहा तुम्हें देखूँ तो जॉन लगते हो

हम एक साथ रहे और हमें पता न चला
तअल्लुक़ात की हद बंदियाँ भी होती हैं
मोहब्बतों के सफ़र में जो रास्ते हैं वहीं
हवस की सिम्त में पगडंडियाँ भी होती हैं

तुम्हारे वास्ते जो मेरे दिल में है 'हाफ़ी'
तुम्हें ये काश मैं सब कुछ कभी बता पाती
और अब मज़ीद न मिलने की कोई वजह नहीं
बस अपनी माँ से मैं आँखें नहीं मिला पाती

Poet - Tehzeeb Hafi
Location: etra, Tehsil Taunsa Sharif (Dera Ghazi Khan District), Pakistan
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