1. Jaan jaane ko hai aur raqs men parvana hai..

Jaan jaane ko hai aur raqs men parvana hai
kitna rangin mohabbat tira afsana hai

ye to dekha ki mire haath men paimana hai
ye na dekha ki gham-e-ishq ko samjhana hai

itna nazdik hue tark-e-taalluq ki qasam
jo kahānī hai miri aap ka afssna hai

ham nahin vo ki bhula den tire ehsan-o-karam
ik inayat tira ḳhvabon men chala aana hai

ek mahshar se nahin kam tira aana lekin
ik qayamat tira pahlu se chala jaana hai

ḳhum o miina mai o masti ye gulabi ankhen
kitna pur-kaif mire hijr ka afsana hai
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जान जाने को है और रक़्स में परवाना है
कितना रंगीन मोहब्बत तिरा अफ़साना है

यह तो देखा कि मेरे हाथ में पैमाना है
यह न देखा कि ग़म-ए-इश्क़ को समझाना है

इतना क़रीब हुए तर्क-ए-तअल्लुक़ की क़सम
जो कहानी है मेरी, आप का अफ़साना है

हम नहीं वो कि भुला दें तेरे एहसान-ओ-करम
एक इनायत तिरा ख़्वाबों में चला आना है

एक महशर से नहीं कम तिरा आना लेकिन
एक क़यामत तिरा पहलू से चला जाना है

ख़ुम ओ मीना, मय ओ मस्ती, ये गुलाबी आँखें
कितना पुरकैफ़ मेरे हिज्र का अफ़साना है

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2. uTh chale vo to is men hairat kya..

uTh chale vo to is men hairat kya
un ke aage vafa ki qimat kya

us ke kuche se ho ke aaya huun
is se achchhi hai koi jannat kya

shahr se vo nikalne vaale hain
sar pe TuTegi phir qayamat kya

tere bandon ki bandagi ki hai
ye ibadat nahin ibadat kya

koi puchhe ki ishq kya shai hai
kya bataen ki hai mohabbat kya

ansuon se likha hai ḳhat un ko
paḌh vo paenge ye ibarat kya

main kahin aur dil laga lunga
mat karo ishq is men hujjat kya

garm bazar hon jo nafrat ke
is zamane men dil ki qimat kya

kitne chehre lage hain chehron par
kya haqiqat hai aur siyasat kya
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उठ चले वो तो इस में हैरत क्या
उनके आगे वफ़ा की क़ीमत क्या

उसके कूचे से हो के आया हूँ
इस से अच्छी है कोई जन्नत क्या

शहर से वो निकलने वाले हैं
सर पे टूटेगी फिर क़यामत क्या

तेरे बंदों की बंदगी की है
ये इबादत नहीं इबादत क्या

कोई पूछे कि इश्क़ क्या शै है
क्या बताएँ कि है मोहब्बत क्या

आँसुओं से लिखा है ख़त उन को
पढ़ वो पाएँगे ये इबारत क्या

मैं कहीं और दिल लगा लूँगा
मत करो इश्क़ इस में हुज्जत क्या

गर्म बाज़ार हों जो नफ़रत के
इस ज़माने में दिल की क़ीमत क्या

कितने चेहरे लगे हैं चेहरों पर
क्या हक़ीक़त है और सियासत क्या


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