Safed shirt

Safed shirt thi tum seedhiyon pe baithe the..

सफ़ेद शर्ट थी तुम सीढ़ियों पे बैठे थे
मैं जब क्लास से निकली थी मुस्कुराते हुए
हमारी पहली मुलाक़ात याद है ना तुम्हें?
इशारे करते थे तुम मुझको आते जाते हुए

तमाम रात को आँखे न भूलती थीं मुझे
कि जिनमें मेरे लिए इज़्ज़त और वक़ार दिखे
मुझे ये दुनिया बयाबान थी मगर इक दिन
तुम एक बार दिखे और बेशुमार दिखे

मुझे ये डर था कि तुम भी कहीं वो ही तो नहीं
जो जिस्म पर ही तमन्ना के दाग़ छोड़ते हैं
ख़ुदा का शुक्र कि तुम उनसे मुख़्तलिफ़ निकले
जो फूल तोड़ के ग़ुस्से में बाग़ छोड़ते हैं

ज़ियादा वक़्त न गुज़रा था इस तअल्लुक़ को
कि उसके बाद वो लम्हा करीं करीं आया
छुआ था तुमने मुझे और मुझे मोहब्बत पर
यक़ीन आया था लेकिन कभी नहीं आया

फिर उसके बाद मेरा नक्शा-ए-सुकूत गया
मैं कश्मकश में थी तुम मेरे कौन लगते हो
मैं अमृता तुम्हें सोचूँ तो मेरे साहिर हो
मैं फ़ारिहा तुम्हें देखूँ तो जॉन लगते हो

हम एक साथ रहे और हमें पता न चला
तअल्लुक़ात की हद बंदियाँ भी होती हैं
मोहब्बतों के सफ़र में जो रास्ते हैं वहीं
हवस की सिम्त में पगडंडियाँ भी होती हैं

तुम्हारे वास्ते जो मेरे दिल में है 'हाफ़ी'
तुम्हें ये काश मैं सब कुछ कभी बता पाती
और अब मज़ीद न मिलने की कोई वजह नहीं
बस अपनी माँ से मैं आँखें नहीं मिला पाती
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