Safed shirt thi tum seedhiyon pe baithe the.. byTehzeeb Hafi August 11, 2023 सफ़ेद शर्ट थी तुम सीढ़ियों पे बैठे थे मैं जब क्लास से निकली थी मुस्कुराते हुएहमारी पहली मुलाक़ात याद है ना तुम्हें?इशारे करते थे तुम मुझको आते जाते हुएतमाम रात को आँखे न भूलती थीं मुझेकि जिनमें मेरे लिए इज़्ज़त और वक़ार दिखेमुझे ये दुनिया बयाबान थी मगर इक दिनतुम एक बार दिखे और बेशुमार दिखेमुझे ये डर था कि तुम भी कहीं वो ही तो नहींजो जिस्म पर ही तमन्ना के दाग़ छोड़ते हैंख़ुदा का शुक्र कि तुम उनसे मुख़्तलिफ़ निकलेजो फूल तोड़ के ग़ुस्से में बाग़ छोड़ते हैंज़ियादा वक़्त न गुज़रा था इस तअल्लुक़ कोकि उसके बाद वो लम्हा करीं करीं आयाछुआ था तुमने मुझे और मुझे मोहब्बत परयक़ीन आया था लेकिन कभी नहीं आयाफिर उसके बाद मेरा नक्शा-ए-सुकूत गयामैं कश्मकश में थी तुम मेरे कौन लगते होमैं अमृता तुम्हें सोचूँ तो मेरे साहिर होमैं फ़ारिहा तुम्हें देखूँ तो जॉन लगते होहम एक साथ रहे और हमें पता न चलातअल्लुक़ात की हद बंदियाँ भी होती हैंमोहब्बतों के सफ़र में जो रास्ते हैं वहींहवस की सिम्त में पगडंडियाँ भी होती हैंतुम्हारे वास्ते जो मेरे दिल में है 'हाफ़ी'तुम्हें ये काश मैं सब कुछ कभी बता पातीऔर अब मज़ीद न मिलने की कोई वजह नहींबस अपनी माँ से मैं आँखें नहीं मिला पाती Read more Safed shirt tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan