bahawalpur

Phone to duur vahan khat bhi nahin pahunchenge..

phone to duur vahan khat bhi nahin pahunchenge
ab ke ye log tumhen aisi jagah bhejenge

zindagi dekh chuke tujh ko bade parde par
aaj ke baad koi film nahin dekhenge

masala ye hai main dushman ke qarin pahunchunga
aur kabutar miri talvar pe aa baiThenge

ham ko ik baar kinaron se nikal jaane do
phir to sailab ke paani kī tarah phailenge

tu vo dariya hai agar jaldi nahin ki tu ne
khud samundar tujhe milne ke liye aenge

seġha-e-raz men rakkhenge nahin ishq tira
ham tire naam se ḳhushb ki dukan kholenge
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फ़ोन तो दूर, वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे,
अब के ये लोग तुम्हें ऐसी जगह भेजेंगे।

ज़िंदगी देख चुके तुझको बड़े पर्दे पर,
आज के बाद कोई फ़िल्म नहीं देखेंगे।

मसला ये है, मैं दुश्मन के करीब पहुँचूंगा,
और कबूतर मेरी तलवार पे आ बैठेंगे।

हमको एक बार किनारों से निकल जाने दो,
फिर तो सैलाब के पानी की तरह फैलेंगे।

तू वो दरिया है, अगर जल्दी नहीं की तूने,
ख़ुद समंदर तुझे मिलने के लिए आएंगे।

सिग़हा-ए-राज़ में रखेंगे नहीं इश्क़ तेरा,
हम तेरे नाम से ख़ुशबू की दुकान खोलेंगे।
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Mere kamre men ik aisi khiḌki hai..

mere kamre men ik aisi khiḌki hai
jo in ankhon ke khulne par khulti hai

aise tevar dushman hi ke hote hain
pata karo ye laḌki kis ki beTi hai

raat ko is jangal men rukna Thiik nahin
is se aage tum logon ki marzi hai

main is shahar ka chand huun aur ye janta huun
kaun si laḌki kis khiḌki men baiThi hai

jab tu shaam ko ghar jaae to paḌh lena
tere bistar par ik chiTThi chhoḌi hai

us ki ḳhatir ghar se bahar Thahra huun
varna ilm hai chabi gate pe rakkhi hai
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मेरे कमरे में एक ऐसी खिड़की है
जो इन आँखों के खुलने पर खुलती है।

ऐसे तेवर दुश्मन ही के होते हैं,
पता करो यह लड़की किस की बेटी है।

रात को इस जंगल में रुकना ठीक नहीं,
इससे आगे तुम लोगों की मर्ज़ी है।

मैं इस शहर का चाँद हूँ और यह जानता हूँ,
कौन सी लड़की किस खिड़की में बैठी है।

जब तू शाम को घर जाए तो पढ़ लेना,
तेरे बिस्तर पर एक चिट्ठी छोड़ी है।

उसकी ख़ातिर घर से बाहर ठहरा हूँ,
वरना इल्म है चाबी गेट पे रखी है।



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Aise us haath se gire ham log..

aise us haath se gire ham log
TuTte TuTte bache ham log

apna qissa suna raha hai koi
aur divar ke bane ham log

vasl ke bhed kholti miTTi
chadaren jhaḌte hue ham log

us kabutar ne apni marzi ki
siTiyan marte rahe ham log

puchhne par koi nahin bola
kaise darvaza kholte ham log

hafize ke liye dava khaai
aur bhi bhulne lage ham log

ain mumkin tha lauT aata vo
us ke pichhe nahin gae ham log
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ऐसे उस हाथ से गिरे हम लोग
टूटे टूटे बचे हम लोग

अपना क़िस्सा सुना रहा है कोई
और दीवार के बने हम लोग

वस्ल के भेद खोलती मिट्टी
चादरें झाड़ते हुए हम लोग

उस कबूतर ने अपनी मरज़ी की
सीटियां मारते रहे हम लोग

पूछने पर कोई नहीं बोला
कैसे दरवाज़ा खोलते हम लोग

हाफिज़े के लिए दवा खाई
और भी भूलने लगे हम लोग

ऐन मुमकिन था लौट आता वो
उस के पीछे नहीं गए हम लोग

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Vaqt hi kam tha faisle ke liye..

vaqt hi kam tha faisle ke liye
varna main aata mashvare ke liye

tum ko achchhe lage to tum rakh lo
phuul toḌe the bechne ke liye

ghanTon ḳhamosh rahna paḌta hai
aap ke saath bolne ke liye

saikaḌon kunDiyan laga raha huun
chand batnon ko kholne ke liye

ek divar baaġh se pahle
ik dupaTTa khule gale ke liye

tark apni falah kar di hai
aur kya ho muashare ke liye

log ayat paḌh ke sote hain
aap ke ḳhvab dekhne ke liye

ab main raste men leT jaun kya
jaane valon ko rokne ke liye
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वक्त ही कम था फैसले के लिए
वरना मैं आता मशवरे के लिए

तुम को अच्छे लगे तो तुम रख लो
फूल तोड़े थे बेचने के लिए

घंटों खामोश रहना पड़ता है
आप के साथ बोलने के लिए

सैकड़ों कुंडियाँ लगा रहा हूँ
चंद बातों को खोलने के लिए

एक दीवार बाग़ से पहले
एक दुपट्टा खुले गले के लिए

तर्क अपनी फला कर दी है
और क्या हो मुशहरे के लिए

लोग आयत पढ़ के सोते हैं
आप के ख़्वाब देखने के लिए

अब मैं रास्ते में लेट जाऊँ क्या
जाने वालों को रोकने के लिए
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tum ne bhi un se hi milna hota hai..

tum ne bhi un se hi milna hota hai
jin logon se mera jhagḌa hota hai

us ke gaanv Ki ek nishani ye bhi hai
har nalke ka paani miTha hota hai

main us shaḳhs se thoḌa aage chalta huun
jis ka main ne pichha karna hota hai

tum meri duniya men bilkul aise ho
taash men jaise hukum ka ikka hota hai

kitne sukhe peḌ bacha sakte hain ham
har jangal men lakkaḌhara hota hai
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तुम ने भी उन से ही मिलना होता है
जिन लोगों से मेरा झगड़ा होता है

उस के गाँव की एक निशानी ये भी है
हर नलके का पानी मीठा होता है

मैं उस शख्स से थोड़ा आगे चलता हूँ
जिस का मैंने पीछा करना होता है

तुम मेरी दुनिया में बिलकुल ऐसे हो
ताश में जैसे हुक़्म का इक्का होता है

कितने सूखे पेड़ बचा सकते हैं हम
हर जंगल में लकड़हारा होता है

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Bol padte hain ham jo aage se..

Bol padte hain ham jo aage se
pyaar baḌhta hai is ravayye se

main vahi huun yaqin karo mera
main jo lagta nahin huun chehre se

ham ko niche utaar lenge log
ishq laTka rahega pankhe se

saara kuchh lag raha hai be-tartib
ek shai aage pichhe hone se

vaise bhi kaun si zaminen thiin
main bahut ḳhush huun aq-name se

ye mohabbat vo ghaaT hai jis par
daaġh lagte hain kapḌe dhone se
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बोल पढ़ते हैं हम जो आगे से
प्यार बढ़ता है इस रवये से

मैं वही हूँ, यकीन करो मेरा
मैं जो लगता नहीं हूँ चेहरे से

हम को नीचे उतार लेंगे लोग
इश्क लटका रहेगा पंखे से

सारा कुछ लग रहा है बे-तरीब
एक शै आगे-पीछे होने से

वैसे भी कौन सी ज़मीनें थीं
मैं बहुत खुश हूँ आख़नामे से

ये मोहब्बत वो घाट है जिस पर
दाग लगते हैं कपड़े धोने से

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phone to dur waha khat bhi nahi pahuchenge..

फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे
अब के ये लोग तुम्हें ऐसी जगह भेजेंगे

ज़िंदगी देख चुके तुझ को बड़े पर्दे पर
आज के बअ'द कोई फ़िल्म नहीं देखेंगे

मसअला ये है मैं दुश्मन के क़रीं पहुँचूँगा
और कबूतर मिरी तलवार पे आ बैठेंगे

हम को इक बार किनारों से निकल जाने दो
फिर तो सैलाब के पानी की तरह फैलेंगे

तू वो दरिया है अगर जल्दी नहीं की तू ने
ख़ुद समुंदर तुझे मिलने के लिए आएँगे

सेग़ा-ए-राज़ में रक्खेंगे नहीं इश्क़ तिरा
हम तिरे नाम से ख़ुशबू की दुकाँ खोलेंगे
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isi nadamat se uss ke kandhe jhuke huye hain..

इसी नदामत से उस के कंधे झुके हुए हैं
कि हम छड़ी का सहारा लेकर खड़े हुए हैं

यहाँ से जाने की जल्दी किस को है तुम बताओ
कि सूटकेसों में कपड़े किस ने रखे हुए हैं

करा तो लूँगा इलाक़ा ख़ाली मैं लड़-झगड़ कर
मगर जो उस ने दिलों पे क़ब्ज़े किए हुए हैं

वो ख़ुद परिंदों का दाना लेने गया हुआ है
और उस के बेटे शिकार करने गए हुए हैं

तुम्हारे दिल में खुली दुकानों से लग रहा है
ये घर यहाँ पर बहुत पुराने बने हुए हैं

मैं कैसे बावर कराऊँ जाकर ये रौशनी को
कि इन चराग़ों पे मेरे पैसे लगे हुए हैं

तुम्हारी दुनिया में कितना मुश्किल है बच के चलना
क़दम क़दम पर तो आस्ताने बने हुए हैं

तुम इन को चाहो तो छोड़ सकते हो रास्ते में
ये लोग वैसे भी ज़िंदगी से कटे हुए हैं

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isi nadamat se us ke kandhe jhuke hue hain
ki ham chhaDi ka sahara le kar khaDe hue hain 

yahan se jaane ki jaldi kis ko hai tum batao
ki suitcason men kapDe kis ne rakhe hue hain 

kara to lunga ilaqa khali main laD-jhagaD kar
magar jo us ne dilon pe qabze kiye hue hain 

vo khud parindon ka daana lene gaya hua hai
aur us ke beTe shikar karne ga.e hue hain 

tumhare dil men khuli dukanon se lag raha hai
ye ghar yahan par bahut purane bane hue hain 

main kaise bavar kara.un ja kar ye raushni ko
ki in charaghon pe mere paise lage hue hain 

tumhari duniya men kitna mushkil hai bach ke chalna
qadam qadam par to astane bane hue hain 

tum in ko chaho to chhoD sakte ho raste men
ye log vaise bhi zindagi se kaTe hue hain
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Ab to uske Dil ke andar daakhil hona baki hai..

अब बस उसके दिल के अंदर दाखिल होना बाकी है
छह दरवाजे़ छोड़ चुका हूं एक दरवाज़ा बाकी है

दौलत शोहरत बीवी बच्चे अच्छा घर और अच्छे दोस्त
कुछ तो है जो इनके बाद भी हासिल करना बाक़ी है

मैं बरसों से खोल रहा हूं एक औरत की साड़ी को
आधी दुनिया घूम चुका हूं आधी दुनिया बाकी है

कभी-कभी तो दिल करता है चलती रेल से कूद पड़ूॅं
फिर कहता हूॅं पागल अब तो थोड़ा रस्ता बाक़ी है

उसकी खातिर बाजारों में भीड़ भी है और रोनक भी
मैं गुम होने वाला हूं बस हाथ छुड़ाना बाकी है
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