बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो है नहीं
हम बे-घरों का कोई ठिकाना तो है नहीं
तुम भी हो बीते वक़्त के मानिंद हू-ब-हू
तुम ने भी याद आना है आना तो है नहीं
अहद-ए-वफ़ा से किस लिए ख़ाइफ़ हो मेरी जान
कर लो कि तुम ने अहद निभाना तो है नहीं
वो जो हमें अज़ीज़ है कैसा है कौन है
क्यूँ पूछते हो हम ने बताना तो है नहीं
दुनिया हम अहल-ए-इश्क़ पे क्यूँ फेंकती है जाल
हम ने तिरे फ़रेब में आना तो है नहीं
वो इश्क़ तो करेगा मगर देख भाल के
'फ़ारिस' वो तेरे जैसा दिवाना तो है नहीं
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baithe hain chain se kahin jaana to hai nahin
ham be-gharon ka koi Thikana to hai nahin
tum bhi ho biite vaqt ke manind hū-ba-hū
tum ne bhi yaad aana hai aana to hai nahin
ahd-e-vafa se kis liye ḳha.if ho meri jaan
kar lo ki tum ne ahd nibhana to hai nahin
vo jo hamen aziiz hai kaisa hai kaun hai
kyuun pūchhte ho ham ne batana to hai nahin
duniya ham ahl-e-ishq pe kyuun phenkti hai jaal
ham ne tire fareb men aana to hai nahin
vo ishq to karega magar dekh bhaal ke
'faris' vo tere jaisa divana to hai nahin