1. kabhi kisi ko mukammal jahan nahin milta..

kabhi kisi ko mukammal jahan nahin milta
kahin zamin kahin asman nahin milta

tamam shahr men aisa nahin ḳhulus na ho
jahan umiid ho is ki vahan nahin milta

kahan charagh jalaen kahan gulab rakhen
chhaten to milti hain lekin makan nahin milta

ye kya azaab hai sab apne aap men gum hain
zaban mili hai magar ham-zaban nahin milta

charaġh jalte hi bina.i bujhne lagti hai
ḳhud apne ghar men hi ghar ka nishan nahīn milta
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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता,
कहीं ज़मीन, कहीं आसमान नहीं मिलता।

तमाम शहर में ऐसा नहीं ख़लूस न हो,
जहाँ उम्मीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता।

कहाँ चराग़ जलाएँ, कहाँ गुलाब रखें,
छतें तो मिलती हैं, लेकिन मकाँ नहीं मिलता।

यह क्या अज़ाब है, सब अपने आप में गुम हैं,
ज़बान मिली है मगर हमज़बान नहीं मिलता।

चराग़ जलते ही बिना ही बुझने लगती है,
ख़ुद अपने घर में ही घर का निशान नहीं मिलता।

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2. safar me dhoop to hogi..

सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो
सभी हैं भीड़ में तुम भी निकल सको तो चलो

किसी के वास्ते राहें कहाँ बदलती हैं
तुम अपने आप को ख़ुद ही बदल सको तो चलो

यहाँ किसी को कोई रास्ता नहीं देता
मुझे गिरा के अगर तुम सँभल सको तो चलो

कहीं नहीं कोई सूरज धुआँ धुआँ है फ़ज़ा
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो

यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदें
इन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
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3. Us ke dushman hai bahut acha aadmi hoga..

उस के दुश्मन हैं बहुत आदमी अच्छा होगा
वो भी मेरी ही तरह शहर में तन्हा होगा

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा

प्यास जिस नहर से टकराई वो बंजर निकली
जिस को पीछे कहीं छोड़ आए वो दरिया होगा

मिरे बारे में कोई राय तो होगी उस की
उस ने मुझ को भी कभी तोड़ के देखा होगा

एक महफ़िल में कई महफ़िलें होती हैं शरीक
जिस को भी पास से देखोगे अकेला होगा

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us ke dushman hain bahut aadmi achchha hoga
vo bhi meri hi tarah shahr men tanha hoga 

itna sach bol ki honTon ka tabassum na bujhe
raushni khatm na kar aage andhera hoga 

pyaas jis nahr se Takra.i vo banjar nikli
jis ko pichhe kahin chhoD aa.e vo dariya hoga 

mire baare men koi raa.e to hogi us ki
us ne mujh ko bhi kabhi toD ke dekha hoga 

ek mahfil men ka.i mahfilen hoti hain sharik
jis ko bhi paas se dekhoge akela hoga
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