shabnam hai ki dhoka hai ki jharna hai ki tum ho.. byAhmed Salman August 14, 2023 शबनम है कि धोका है कि झरना है कि तुम होदिल-दश्त में इक प्यास तमाशा है कि तुम होइक लफ़्ज़ में भटका हुआ शाइ'र है कि मैं हूँइक ग़ैब से आया हुआ मिस्रा है कि तुम हो दरवाज़ा भी जैसे मिरी धड़कन से जुड़ा है दस्तक ही बताती है पराया है कि तुम हो इक धूप से उलझा हुआ साया है कि मैं हूँ इक शाम के होने का भरोसा है कि तुम हो मैं हूँ भी तो लगता है कि जैसे मैं नहीं हूँ तुम हो भी नहीं और ये लगता है कि तुम हो ---------------------------------------shabnam hai ki dhoka hai ki jharna hai ki tum hodil-dasht men ik pyaas tamasha hai ki tum ho ik lafz men bhaTka hua sha.ir hai ki main huunik ghaib se aaya hua misra.a hai ki tum ho darvaza bhi jaise miri dhaDkan se juDa hai dastak hi batati hai paraya hai ki tum ho ik dhuup se uljha hua saaya hai ki main huun ik shaam ke hone ka bharosa hai ki tum ho main huun bhi to lagta hai ki jaise main nahin huun tum ho bhi nahin aur ye lagta hai ki tum ho Read more ahmed salman karachi young poet
baithe hain chain se kahin jaana to hai nahin.. byRehman Faris August 14, 2023 बैठे हैं चैन से कहीं जाना तो है नहींहम बे-घरों का कोई ठिकाना तो है नहींतुम भी हो बीते वक़्त के मानिंद हू-ब-हूतुम ने भी याद आना है आना तो है नहींअहद-ए-वफ़ा से किस लिए ख़ाइफ़ हो मेरी जानकर लो कि तुम ने अहद निभाना तो है नहींवो जो हमें अज़ीज़ है कैसा है कौन हैक्यूँ पूछते हो हम ने बताना तो है नहींदुनिया हम अहल-ए-इश्क़ पे क्यूँ फेंकती है जालहम ने तिरे फ़रेब में आना तो है नहींवो इश्क़ तो करेगा मगर देख भाल के'फ़ारिस' वो तेरे जैसा दिवाना तो है नहीं---------------------------------------------------baithe hain chain se kahin jaana to hai nahinham be-gharon ka koi Thikana to hai nahin tum bhi ho biite vaqt ke manind hū-ba-hū tum ne bhi yaad aana hai aana to hai nahin ahd-e-vafa se kis liye ḳha.if ho meri jaan kar lo ki tum ne ahd nibhana to hai nahin vo jo hamen aziiz hai kaisa hai kaun hai kyuun pūchhte ho ham ne batana to hai nahin duniya ham ahl-e-ishq pe kyuun phenkti hai jaal ham ne tire fareb men aana to hai nahin vo ishq to karega magar dekh bhaal ke 'faris' vo tere jaisa divana to hai nahin Read more baithe hain chain se young poet rahman faris
Jahan bhar ki tamam aankhein nichod kar jitna nam banega .. byUmair Najmi August 13, 2023 जहान भर की तमाम आँखें निचोड़ कर जितना नम बनेगाये कुल मिला कर भी हिज्र की रात मेरे गिर्ये से कम बनेगामैं दश्त हूँ ये मुग़ालता है न शाइ'राना मुबालग़ा हैमिरे बदन पर कहीं क़दम रख के देख नक़्श-ए-क़दम बनेगाहमारा लाशा बहाओ वर्ना लहद मुक़द्दस मज़ार होगीये सुर्ख़ कुर्ता जलाओ वर्ना बग़ावतों का अलम बनेगातो क्यूँ न हम पाँच सात दिन तक मज़ीद सोचें बनाने से क़ब्लमिरी छटी हिस बता रही है ये रिश्ता टूटेगा ग़म बनेगामुझ ऐसे लोगों का टेढ़-पन क़ुदरती है सो ए'तिराज़ कैसाशदीद नम ख़ाक से जो पैकर बनेगा ये तय है ख़म बनेगासुना हुआ है जहाँ में बे-कार कुछ नहीं है सो जी रहे हैंबना हुआ है यक़ीं कि इस राएगानी से कुछ अहम बनेगाकि शाहज़ादे की आदतें देख कर सभी इस पर मुत्तफ़िक़ हैंये जूँ ही हाकिम बना महल का वसीअ' रक़्बा हरम बनेगामैं एक तरतीब से लगाता रहा हूँ अब तक सुकूत अपनासदा के वक़्फ़े निकाल इस को शुरूअ' से सुन रिधम बनेगासफ़ेद रूमाल जब कबूतर नहीं बना तो वो शो'बदा-बाज़पलटने वालों से कह रहा था रुको ख़ुदा की क़सम बनेगा Read more Tamam aankhein umair najmi young poet pakistani poet
Wo muh lgata hai jab koi kam hota hai.. byUmair Najmi August 13, 2023 वो मुँह लगाता है जब कोई काम होता है जो उसका होता है समझो ग़ुलाम होता हैकिसी का हो के दुबारा न आना मेरी तरफ़मोहब्बतों में हलाला हराम होता हैइसे भी गिनते हैं हम लोग अहल-ए-ख़ाना मेंहमारे याँ तो शजर का भी नाम होता हैतुझ ऐसे शख़्स के होते हैं ख़ास दोस्त बहुततुझ ऐसा शख़्स बहुत जल्द आम होता हैकभी लगी है तुम्हें कोई शाम आख़िरी शामहमारे साथ ये हर एक शाम होता है Read more umair najmi young poet pakistani poet
nikal laya hun ek pinjre se ek parinda.. byUmair Najmi August 12, 2023 बड़े तहम्मुल से रफ़्ता रफ़्ता निकालना है बचा है जो तुझ में मेरा हिस्सा निकालना हैये रूह बरसों से दफ़्न है तुम मदद करोगेबदन के मलबे से इस को ज़िंदा निकालना हैनज़र में रखना कहीं कोई ग़म-शनास गाहकमुझे सुख़न बेचना है ख़र्चा निकालना हैनिकाल लाया हूँ एक पिंजरे से इक परिंदाअब इस परिंदे के दिल से पिंजरा निकालना हैये तीस बरसों से कुछ बरस पीछे चल रही हैमुझे घड़ी का ख़राब पुर्ज़ा निकालना हैख़याल है ख़ानदान को इत्तिलाअ दे दूँजो कट गया उस शजर का शजरा निकालना हैमैं एक किरदार से बड़ा तंग हूँ क़लमकारमुझे कहानी में डाल ग़ुस्सा निकालना है-------------------------------------bade tahammul se rafta rafta nikalna haibacha hai jo tujh mein mera hissa nikalna haiye ruh barson se dafn hai tum madad karogebadan ke malbe se is ko zinda nikalna hainazar mein rakhna kahin koi gham-shanas gahakmujhe sukhan bechna hai kharcha nikalna hainikal laya hun ek pinjre se ek parindaab is parinde ke dil se pinjra nikalna haiye tis barson se kuchh baras pichhe chal rahi haimujhe ghadi ka kharab purza nikalna haikhayal hai khandan ko ittilaa de dunjo kat gaya us shajar ka shajara nikalna haimain ek kirdar se bada tang hun qalamkarmujhe kahani mein dal ghussa nikalna hai Read more nikal laya hoo umair najmi young poet pakistani poet
Barso purana dost Mila jaise gair ho.. byUmair Najmi August 12, 2023 बरसों पुराना दोस्त मिला जैसे ग़ैर हो देखा रुका झिझक के कहा तुम उमैर होमिलते हैं मुश्किलों से यहाँ हम-ख़याल लोगतेरे तमाम चाहने वालों की ख़ैर होकमरे में सिगरेटों का धुआँ और तेरी महकजैसे शदीद धुंध में बाग़ों की सैर होहम मुत्मइन बहुत हैं अगर ख़ुश नहीं भी हैंतुम ख़ुश हो क्या हुआ जो हमारे बग़ैर होपैरों में उसके सर को धरें इल्तिजा करेंइक इल्तिजा कि जिसका न सर हो न पैर हो Read more barso purana dost mila umair najmi young poet pakistani poet
phone to dur waha khat bhi nahi pahuchenge.. byZia Mazkoor August 12, 2023 फ़ोन तो दूर वहाँ ख़त भी नहीं पहुँचेंगे अब के ये लोग तुम्हें ऐसी जगह भेजेंगेज़िंदगी देख चुके तुझ को बड़े पर्दे परआज के बअ'द कोई फ़िल्म नहीं देखेंगेमसअला ये है मैं दुश्मन के क़रीं पहुँचूँगाऔर कबूतर मिरी तलवार पे आ बैठेंगेहम को इक बार किनारों से निकल जाने दोफिर तो सैलाब के पानी की तरह फैलेंगेतू वो दरिया है अगर जल्दी नहीं की तू नेख़ुद समुंदर तुझे मिलने के लिए आएँगेसेग़ा-ए-राज़ में रक्खेंगे नहीं इश्क़ तिराहम तिरे नाम से ख़ुशबू की दुकाँ खोलेंगे Read more phone to dur zia mazkoor bahawalpur young poet
jo ham pe guzre the ranj saare jo khud pe guzre to log samjhe.. byAhmed Salman August 12, 2023 जो हम पे गुज़रे थे रंज सारे जो ख़ुद पे गुज़रे तो लोग समझे जब अपनी अपनी मोहब्बतों के अज़ाब झेले तो लोग समझेवो जिन दरख़्तों की छाँव में से मुसाफ़िरों को उठा दिया थाउन्हीं दरख़्तों पे अगले मौसम जो फल न उतरे तो लोग समझेउस एक कच्ची सी उम्र वाली के फ़ल्सफ़े को कोई न समझाजब उस के कमरे से लाश निकली ख़ुतूत निकले तो लोग समझेवो ख़्वाब थे ही चम्बेलियों से सो सब ने हाकिम की कर ली बैअतफिर इक चम्बेली की ओट में से जो साँप निकले तो लोग समझेवो गाँव का इक ज़ईफ़ दहक़ाँ सड़क के बनने पे क्यूँ ख़फ़ा थाजब उन के बच्चे जो शहर जाकर कभी न लौटे तो लोग समझे---------------------------------------jo ham pe guzre the ranj saare jo khud pe guzre to log samjhejab apni apni mohabbaton ke azaab jhele to log samjhevo jin darakhton ki chhanv men se musafiron ko utha diya thaunhin darakhton pe agle mausam jo phal na utre to log samjheus ek kachchi si umr vaali ke falsafe ko koi na samjhajab us ke kamre se laash nikli khutut nikle to log samjhevo khvab the hi chambeliyon se so sab ne hakim ki kar li baiatphir ik chambeli ki ot men se jo saanp nikle to log samjhevo gaanv ka ik zaiif dahqan sadak ke banne pe kyuun khafa thajab un ke bachche jo shahr jakar kabhi na laute to log samjhe Read more jo ham pe guzre the ranj Ahmed Salman Urdu Ghazal karachi young poet
isi nadamat se uss ke kandhe jhuke huye hain.. byZia Mazkoor August 11, 2023 इसी नदामत से उस के कंधे झुके हुए हैंकि हम छड़ी का सहारा लेकर खड़े हुए हैंयहाँ से जाने की जल्दी किस को है तुम बताओकि सूटकेसों में कपड़े किस ने रखे हुए हैंकरा तो लूँगा इलाक़ा ख़ाली मैं लड़-झगड़ करमगर जो उस ने दिलों पे क़ब्ज़े किए हुए हैंवो ख़ुद परिंदों का दाना लेने गया हुआ हैऔर उस के बेटे शिकार करने गए हुए हैंतुम्हारे दिल में खुली दुकानों से लग रहा हैये घर यहाँ पर बहुत पुराने बने हुए हैंमैं कैसे बावर कराऊँ जाकर ये रौशनी कोकि इन चराग़ों पे मेरे पैसे लगे हुए हैंतुम्हारी दुनिया में कितना मुश्किल है बच के चलनाक़दम क़दम पर तो आस्ताने बने हुए हैंतुम इन को चाहो तो छोड़ सकते हो रास्ते मेंये लोग वैसे भी ज़िंदगी से कटे हुए हैं-------------------------------isi nadamat se us ke kandhe jhuke hue hainki ham chhaDi ka sahara le kar khaDe hue hain yahan se jaane ki jaldi kis ko hai tum bataoki suitcason men kapDe kis ne rakhe hue hain kara to lunga ilaqa khali main laD-jhagaD karmagar jo us ne dilon pe qabze kiye hue hain vo khud parindon ka daana lene gaya hua haiaur us ke beTe shikar karne ga.e hue hain tumhare dil men khuli dukanon se lag raha haiye ghar yahan par bahut purane bane hue hain main kaise bavar kara.un ja kar ye raushni koki in charaghon pe mere paise lage hue hain tumhari duniya men kitna mushkil hai bach ke chalnaqadam qadam par to astane bane hue hain tum in ko chaho to chhoD sakte ho raste menye log vaise bhi zindagi se kaTe hue hain Read more isi nadamat zia mazkoor bahawalpur young poet
Bajae koi shahnai mujhe achchha nahin lagta.. byAmir Ameer August 11, 2023 बजाए कोई शहनाई मुझे अच्छा नहीं लगतामोहब्बत का तमाशाई मुझे अच्छा नहीं लगतावो जब बिछड़े थे हम तो याद है गर्मी की छुट्टीयाँ थींतभी से माह जुलाई मुझे अच्छा नहीं लगतावो शरमाती है इतना कि हमेशा उस की बातों काक़रीबन एक चौथाई मुझे अच्छा नहीं लगतान-जाने इतनी कड़वाहट कहाँ से आ गई मुझ मेंकरे जो मेरी अच्छाई मुझे अच्छा नहीं लगतामिरे दुश्मन को इतनी फ़ौक़ियत तो है बहर-सूरतकि तू है उस की हम-साई मुझे अच्छा नहीं लगतान इतनी दाद दो जिस में मिरी आवाज़ दब जाएकरे जो यूँ पज़ीराई मुझे अच्छा नहीं लगतातिरी ख़ातिर नज़र-अंदाज़ करता हूँ उसे वर्नावो जो है ना तिरा भाई मुझे अच्छा नहीं लगता------------------------------------------------baja.e koi shahna.i mujhe achchha nahin lagtamohabbat ka tamasha.i mujhe achchha nahin lagta vo jab bichhDe the ham to yaad hai garmi ki chhuTTiyan thiintabhi se maah july mujhe achchha nahin lagta vo sharmati hai itna ki hamesha us ki baton kaqariban ek chautha.i mujhe achchha nahin lagta na-jane itni kaDvahaT kahan se aa ga.i mujh men kare jo meri achchha.i mujhe achchha nahin lagta mire dushman ko itni fauqiyat to hai bahar-suratki tu hai us ki ham-sa.i mujhe achchha nahin lagta na itni daad do jis men miri avaz dab jaa.ekare jo yuun pazira.i mujhe achchha nahin lagta tiri khatir nazar-andaz karta huun use varnavo jo hai na tira bhaa.i mujhe achchha nahin lagta Read more bajaye koi shahnai amir ameer young poet