Tera chup rehna mere zehan me kya baith gaya.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 तेरा चुप रहना मेरे ज़हन में क्या बैठ गयाइतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गयायूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँजो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गयाइतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछउस ने जिस को भी जाने का कहा, बैठ गयाअपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहींचीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गयाउस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपनेइस पे क्या लड़ना फुलाँ मेरी जगह बैठ गयाबात दरियाओं की, सूरज की, न तेरी है यहाँदो क़दम जो भी मेरे साथ चला बैठ गयाबज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूसजो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया Read more Tera chup rehna tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan