Parai aag par roti nhi banaunga.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगामैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगाअगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दियाअलम बनाऊँगा बर्छी नहीं बनाऊँगाफ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूँ लेकिनमैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊँगागली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँनए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगामैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँतो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगातुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुखमैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊँगामैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने ‘सरवत’ परऔर इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा Read more Parai aage par tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan