Jab wo iss duniya ke shor aur khamoshi se.. byTehzeeb Hafi August 15, 2023 जब वो इस दुनिया के शोर और ख़मोशी से क़त'अ-तअल्लुक़ होकर इंग्लिश में गुस्सा करती है,मैं तो डर जाता हूँ लेकिन कमरे की दीवारें हँसने लगती हैंवो इक ऐसी आग है जिसे सिर्फ़ दहकने से मतलब है,वो इक ऐसा फूल है जिसपर अपनी ख़ुशबू बोझ बनी है,वो इक ऐसा ख़्वाब है जिसको देखने वाला ख़ुद मुश्किल में पड़ सकता है,उसको छूने की ख़्वाइश तो ठीक है लेकिनपानी कौन पकड़ सकता हैवो रंगों से वाकिफ़ है बल्कि हर इक रंग के शजरे तक से वाकिफ़ है,उसको इल्म है किन ख़्वाबों से आंखें नीली पढ़ सकती हैं,हमने जिनको नफ़रत से मंसूब कियावो उन पीले फूलों की इज़्ज़त करती हैकभी-कभी वो अपने हाथ मे पेंसिल लेकरऐसी सतरें खींचती हैसब कुछ सीधा हो जाता हैवो चाहे तो हर इक चीज़ को उसके अस्ल में ला सकती है,सिर्फ़ उसीके हाथों से सारी दुनिया तरतीब में आ सकती है,हर पत्थर उस पाँव से टकराने की ख़्वाइश में जिंदा है लेकिन ये तो इसी अधूरेपन का जहाँ है,हर पिंजरे में ऐसे क़ैदी कब होते हैंहर कपड़े की किस्मत में वो जिस्म कहाँ हैमेरी बे-मक़सद बातों से तंग भी आ जाती है तो महसूस नहीं होने देतीलेकिन अपने होने से उकता जाती है,उसको वक़्त की पाबंदी से क्या मतलब हैवो तो बंद घड़ी भी हाथ मे बांध के कॉलेज आ जाती है Read more paani kaun pakad sakta hai tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan