नया इक रिश्ता पैदा क्यूँ करें हम
बिछड़ना है तो झगड़ा क्यूँ करें हम
ख़मोशी से अदा हो रस्म-ए-दूरी
कोई हंगामा बरपा क्यूँ करें हम
ये काफ़ी है कि हम दुश्मन नहीं हैं
वफ़ा-दारी का दावा क्यूँ करें हम
वफ़ा इख़्लास क़ुर्बानी मोहब्बत
अब इन लफ़्ज़ों का पीछा क्यूँ करें हम
सुना दें इस्मत-ए-मरियम का क़िस्सा
पर अब इस बाब को वा क्यों करें हम
ज़ुलेख़ा-ए-अज़ीज़ाँ बात ये है
भला घाटे का सौदा क्यों करें हम
हमारी ही तमन्ना क्यूँ करो तुम
तुम्हारी ही तमन्ना क्यूँ करें हम
किया था अह्द जब लम्हों में हम ने
तो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम
उठा कर क्यों न फेंकें सारी चीज़ें
फ़क़त कमरों में टहला क्यों करें हम
जो इक नस्ल-ए-फ़रोमाया को पहुँचे
वो सरमाया इकट्ठा क्यों करें हम
नहीं दुनिया को जब पर्वा हमारी
तो फिर दुनिया की पर्वा क्यूँ करें हम
बरहना हैं सर-ए-बाज़ार तो क्या
भला अंधों से पर्दा क्यों करें हम
हैं बाशिंदे उसी बस्ती के हम भी
सो ख़ुद पर भी भरोसा क्यों करें हम
चबा लें क्यों न ख़ुद ही अपना ढाँचा
तुम्हें रातिब मुहय्या क्यों करें हम
पड़ी रहने दो इंसानों की लाशें
ज़मीं का बोझ हल्का क्यों करें हम
ये बस्ती है मुसलमानों की बस्ती
यहाँ कार-ए-मसीहा क्यूँ करें हम
-------------------------------------
naya ik rishta paida kyuun karen ham
bichhadna hai to jhagda kyuun karen ham
khamoshi se ada ho rasm-e-duri
koi hangama barpa kyuun karen ham
ye kaafi hai ki ham dushman nahin hain
vafa-dari ka da.ava kyuun karen ham
vafa ikhlas qurbani mohabbat
ab in lafzon ka pichha kyuun karen ham
suna den ismat-e-mariyam ka qissa
par ab is baab ko va kyon karen ham
zulekha-e-azizan baat ye hai
bhala ghaTe ka sauda kyon karen ham
hamari hi tamanna kyuun karo tum
tumhari hi tamanna kyuun karen ham
kiya tha ahd jab lamhon men ham ne
to saari umr iifa kyuun karen ham
uTha kar kyon na phenken saari chizen
faqat kamron men Tahla kyon karen ham
jo ik nasl-e-faromaya ko pahunche
vo sarmaya ikaTTha kyon karen ham
nahin duniya ko jab parva hamari
to phir duniya ki parva kyuun karen ham
barahna hain sar-e-bazar to kya
bhala andhon se parda kyon karen ham
hain bashinde usi basti ke ham bhi
so khud par bhi bharosa kyon karen ham
chaba len kyon na khud hi apna dhancha
tumhen ratib muhayya kyon karen ham
padi rahne do insanon ki lashen
zamin ka bojh halka kyon karen ham
ye basti hai musalmanon ki basti
yahan kar-e-masiha kyuun karen ham..