pakistani poet

कोई हालत नहीं ये हालत है..

कोई हालत नहीं ये हालत है
ये तो आशोब-नाक सूरत है

अंजुमन में ये मेरी ख़ामोशी
बुर्दबारी नहीं है वहशत है

तुझ से ये गाह-गाह का शिकवा
जब तलक है बसा ग़नीमत है

ख़्वाहिशें दिल का साथ छोड़ गईं
ये अज़िय्यत बड़ी अज़िय्यत है

लोग मसरूफ़ जानते हैं मुझे
याँ मिरा ग़म ही मेरी फ़ुर्सत है

तंज़ पैराया-ए-तबस्सुम में
इस तकल्लुफ़ की क्या ज़रूरत है

हम ने देखा तो हम ने ये देखा
जो नहीं है वो ख़ूबसूरत है

वार करने को जाँ-निसार आएँ
ये तो ईसार है 'इनायत है

गर्म-जोशी और इस क़दर क्या बात
क्या तुम्हें मुझ से कुछ शिकायत है

अब निकल आओ अपने अंदर से
घर में सामान की ज़रूरत है

आज का दिन भी 'ऐश से गुज़रा
सर से पा तक बदन सलामत है
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Kitne aish se rehte honge kitne itrate honge..

कितने ऐश से रहते होंगे कितने इतराते होंगे
जाने कैसे लोग वो होंगे जो उस को भाते होंगे 

शाम हुए ख़ुश-बाश यहाँ के मेरे पास आ जाते हैं
मेरे बुझने का नज़्ज़ारा करने आ जाते होंगे 

वो जो न आने वाला है ना उस से मुझ को मतलब था
आने वालों से क्या मतलब आते हैं आते होंगे 

उस की याद की बाद-ए-सबा में और तो क्या होता होगा
यूँही मेरे बाल हैं बिखरे और बिखर जाते होंगे 

यारो कुछ तो ज़िक्र करो तुम उस की क़यामत बाँहों का
वो जो सिमटते होंगे उन में वो तो मर जाते होंगे 

मेरा साँस उखड़ते ही सब बैन करेंगे रोएँगे
या'नी मेरे बा'द भी या'नी साँस लिए जाते होंगे 

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Kitne aish se rehte honge kitne itrate honge
Jane kaise log wo honge jo us ko bhaate honge

Us ki yaad ki baad-e-saba mein aur to kya hota hoga
Yoon hi mere baal hain bikhre aur bikhar jaate honge

Wo jo na aane wala hai na us se humko matlab tha
Aane walon se kya matlab aate hain aate honge

Yaaron kuchh to haal sunao us ki qayamat baahon ka
Wo jo simat-te honge un mein wo to mar jate honge

Band rahe jin ka darwaaza aise gharon ki mat poochho
Deeware gir jaati hongi aangan reh jaate honge

Meri saans ukhadte hi sab bain karenge ro’enge
Yaani mere baad bhi yaani saans liye jaate honge
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jab tera hukm mila tark mohabbat kar di..

जब तिरा हुक्म मिला तर्क मोहब्बत कर दी
दिल मगर इस पे वो धड़का कि क़यामत कर दी

तुझ से किस तरह मैं इज़्हार-ए-तमन्ना करता 
लफ़्ज़ सूझा तो मुआ'नी ने बग़ावत कर दी 

मैं तो समझा था कि लौट आते हैं जाने वाले 
तू ने जा कर तो जुदाई मिरी क़िस्मत कर दी 

तुझ को पूजा है कि असनाम-परस्ती की है 
मैं ने वहदत के मफ़ाहीम की कसरत कर दी 

मुझ को दुश्मन के इरादों पे भी प्यार आता है 
तिरी उल्फ़त ने मोहब्बत मिरी आदत कर दी 

पूछ बैठा हूँ मैं तुझ से तिरे कूचे का पता 
तेरे हालात ने कैसी तिरी सूरत कर दी 

क्या तिरा जिस्म तिरे हुस्न की हिद्दत में जला 
राख किस ने तिरी सोने की सी रंगत कर दी

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jab tira hukm mila tark mohabbat kar di
dil magar is pe vo dhaDka ki qayamat kar di 

tujh se kis tarah main iz.har-e-tamanna karta
lafz sujha to muani ne baghavat kar di 

main to samjha tha ki lauT aate hain jaane vaale
tu ne ja kar to juda.i miri qismat kar di 

tujh ko puuja hai ki asnam-parasti ki hai
main ne vahdat ke mafahim ki kasrat kar di 

mujh ko dushman ke iradon pe bhi pyaar aata hai
tiri ulfat ne mohabbat miri aadat kar di 

puchh baiTha huun main tujh se tire kuche ka pata
tere halat ne kaisi tiri surat kar di 

kya tira jism tire husn ki hiddat men jala
raakh kis ne tiri sone ki si rangat kar di
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chalo bad-e-bahari ja rahi hai..

चलो बाद-ए-बहारी जा रही है
पिया-जी की सवारी जा रही है

शुमाल-ए-जावेदान-ए-सब्ज़-ए-जाँ से 
तमन्ना की अमारी जा रही है 

फ़ुग़ाँ ऐ दुश्मन-ए-दार-ए-दिल-ओ-जाँ 
मिरी हालत सुधारी जा रही है 

है पहलू में टके की इक हसीना 
तिरी फ़ुर्क़त गुज़ारी जा रही है 

जो इन रोज़ों मिरा ग़म है वो ये है 
कि ग़म से बुर्दबारी जा रही है 

है सीने में अजब इक हश्र बरपा 
कि दिल से बे-क़रारी जा रही है 

मैं पैहम हार कर ये सोचता हूँ 
वो क्या शय है जो हारी जा रही है 

दिल उस के रू-ब-रू है और गुम-सुम 
कोई अर्ज़ी गुज़ारी जा रही है 

वो सय्यद बच्चा हो और शैख़ के साथ 
मियाँ इज़्ज़त हमारी जा रही है 

है बरपा हर गली में शोर-ए-नग़्मा 
मिरी फ़रियाद मारी जा रही है 

वो याद अब हो रही है दिल से रुख़्सत 
मियाँ प्यारों की प्यारी जा रही है 

दरेग़ा तेरी नज़दीकी मियाँ-जान 
तिरी दूरी पे वारी जा रही है 

बहुत बद-हाल हैं बस्ती तिरे लोग 
तो फिर तू क्यूँ सँवारी जा रही है 

तिरी मरहम-निगाही ऐ मसीहा 
ख़राश-ए-दिल पे वारी जा रही है 

ख़राबे में अजब था शोर बरपा 
दिलों से इंतिज़ारी जा रही है 

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chalo bad-e-bahari ja rahi hai
piya-ji ki savari ja rahi hai 

shumal-e-javedan-e-sabz-e-jan se 
tamanna ki amari ja rahi hai 

fughan ai dushman-e-dar-e-dil-o-jan 
miri halat sudhari ja rahi hai 

hai pahlu men Take ki ik hasina 
tiri furqat guzari ja rahi hai 

jo in rozon mira gham hai vo ye hai 
ki gham se burdbari ja rahi hai 

hai siine men ajab ik hashr barpa 
ki dil se be-qarari ja rahi hai 

main paiham haar kar ye sochta huun 
vo kya shai hai jo haari ja rahi hai 

dil us ke ru-ba-ru hai aur gum-sum 
koi arzi guzari ja rahi hai 

vo sayyad bachcha ho aur shaikh ke saath 
miyan izzat hamari ja rahi hai 

hai barpa har gali men shor-e-naghma 
miri fariyad maari ja rahi hai 

vo yaad ab ho rahi hai dil se rukhsat 
miyan pyaron ki pyari ja rahi hai 

daregha teri nazdiki miyan-jan
tiri duuri pe vaari ja rahi hai 

bahut bad-hal hain basti tire log
to phir tu kyuun sanvari ja rahi hai 

tiri marham-nigahi ai masiha
kharash-e-dil pe vaari ja rahi hai 

kharabe men ajab tha shor barpa
dilon se intizari ja rahi hai
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Uske pahlu se lag ke chalte hain...

उस के पहलू से लग के चलते हैं
हम कहीं टालने से टलते हैं

बंद है मय-कदों के दरवाज़े
हम तो बस यूँही चल निकलते हैं

मैं उसी तरह तो बहलता हूँ
और सब जिस तरह बहलते हैं

वो है जान अब हर एक महफ़िल की
हम भी अब घर से कम निकलते हैं

क्या तकल्लुफ़ करें ये कहने में
जो भी ख़ुश है हम उस से जलते हैं

है उसे दूर का सफ़र दर-पेश
हम सँभाले नहीं सँभलते हैं

शाम फ़ुर्क़त की लहलहा उठी
वो हवा है कि ज़ख़्म भरते हैं

है अजब फ़ैसले का सहरा भी
चल न पड़िए तो पाँव जलते हैं

हो रहा हूँ मैं किस तरह बर्बाद
देखने वाले हाथ मलते हैं

तुम बनो रंग तुम बनो ख़ुशबू
हम तो अपने सुख़न में ढलते हैं

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Us Ke Pehloo Se Lag Ke Chalte Hain
Hum Kahin Taalney Se Talte Hain.

Main Usi Tarah To Bahalta Hoon
Aur Sab Jis Tarah Bahalte Hain.

Woh Hai Jaan Ab Har Ek Mehfil Ki
Hum Bhi Ab Ghar Se Kab Nikalte Hain.

Kya Takkaluff Karen Ye Kehne Mein
Jo Bhi Khush Hai Hum Us Se Jalte Hain.

Hai Usey Door Ka Safar Dar-Pesh
Hum Sambhaaley Nahin Sambhalte Hain.

Hai Azaab Faisle Ka Sehraa Bhi
Chal Na Pariye To Paaon Jalte Hain.

Ho Raha Hoon Main Kis Tarah Barbaad
Dekhne Waale Haath Malte Hain.

Tum Bano Rang, Tum Bano Khushboo
Hum To Apne Sukhan Mein Dhalte Hain.
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Chalne Ka Hausla Nahin Rukna Muhaal Kar Diya..

चलने का हौसला नहीं रुकना मुहाल कर दिया
इश्क़ के इस सफ़र ने तो मुझ को निढाल कर दिया

ऐ मिरी गुल-ज़मीं तुझे चाह थी इक किताब की
अहल-ए-किताब ने मगर क्या तिरा हाल कर दिया

मिलते हुए दिलों के बीच और था फ़ैसला कोई
उस ने मगर बिछड़ते वक़्त और सवाल कर दिया

अब के हवा के साथ है दामन-ए-यार मुंतज़िर
बानू-ए-शब के हाथ में रखना सँभाल कर दिया

मुमकिना फ़ैसलों में एक हिज्र का फ़ैसला भी था
हम ने तो एक बात की उस ने कमाल कर दिया

मेरे लबों पे मोहर थी पर मेरे शीशा-रू ने तो
शहर के शहर को मिरा वाक़िफ़-ए-हाल कर दिया

चेहरा ओ नाम एक साथ आज न याद आ सके
वक़्त ने किस शबीह को ख़्वाब ओ ख़याल कर दिया

मुद्दतों बा'द उस ने आज मुझ से कोई गिला किया
मंसब-ए-दिलबरी पे क्या मुझ को बहाल कर दिया

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Chalne Ka Hausla Nahin Rukna Muhaal Kar Diya
Ishq Ke Is Safar Ne To Mujh Ko NiDhaal Kar Diya

Ai Meri Gul-Zamiin Tujhe Chaah Thi Ik Kitaab Ki
Ahl-E-Kitaab Ne Magar Kya Tera Haal Kar Diya

Milte Hue Dilon Ke Biich Aur Tha Faisla Koi
Us Ne Magar BichhaḌte Vaqt Aur Savaal Kar Diya

Ab Ke Havaa Ke Saath Hai Daaman-E-Yaar Muntazir
Baanu-E-Shab Ke Haath Mein Rakhna Sambhaal Kar Diya

Mumkina Faislon Mein Ek Hijr Ka Faisla Bhi Tha
Ham Ne To Ek Baat Ki Us Ne Kamaal Kar Diya

Mere Labon Pe Mohr Thi Par Mere Shisha-Ru Ne To
Shahr Ke Shahr Ko Mera Vaaqif-E-Haal Kar Diya

Chehra O Naam Ek Saath Aaj Na Yaad Aa Sake
Vaqt Ne Kis Shabih Ko Ḳhvaab O Ḳhayaal Kar Diya

Muddaton Baad Us Ne Aaj Mujh Se Koi Gila Kiya
Mansab-E-Dilbari Pe Kya Mujh Ko Bahaal Kar Diya
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Maqrooz Ke Bigray Huye Halaat Ki Maanind..

मक़रूज़ के बिगड़े हुए ख़यालात की मानिंद
मज़बूर के होठों के सवालात की मानिंद

दिल का तेरी चाहत में अजब हाल हुआ है
सैलाब से बर्बाद मकानात की मानिंद

मैं उस में भटकते हुए जुगनू की तरह हूँ
उस शख्स की आँख हैं किसी रात की मानिंद

दिल रोज़ सजाता हूँ मैं दुल्हन की तरह से
ग़म रोज़ चले आते हैं बारात की मानिंद

अब ये भी नहीं याद के क्या नाम था उसका
जिस शख्स को माँगा था मुनाजात की मानिंद

किस दर्जा मुकद्दस है तेरे क़ुर्ब की ख्वाहिश
मासूम से बच्चे के ख़यालात की मानिंद

उस शख्स से मेरा मिलना मुमकिन ही नहीं था
मैं प्यास का सेहरा हूँ वो बरसात की मानिंद

समझाओ 'मोहसिन' उसको के अब तो रहम करे
ग़म बाँटता फिरता है वो सौगात की मानिंद

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Maqrooz Ke Bigray Huye Halaat Ki Maanind
Majboor Ke Honton Pe Sawaalaat Ki Maanind

Dil Ka Teri Chaahat Mein Ajab Haal Hua Hai
Sailaab Se Barbaad Makaanaat Ki Maanind

Mein Un Mein Bhatkay Howay Jugnu Ki Tarah Hun
Usss Shakhs Ki Aankhain Hain Kisi Raat Ki Maanind

Dil Roz Sajaata Hun Mein Dulhan Ki Tarah
Gham Roz Chalay Aatay Hain Baaraat Ki Maanind

Ab Ye Bhi Nahi Yaad Ke Kya Naam Tha Os Ka
Jis Shakhs Ko Maanga Tha Manaajaat Ki Maanind

Kis Darja Muqaddas Hai Tere Qurb Ki Khwaahish
Maasoom Se Bachay Ke Khayaalaat Ki Maanind

Uss Shakhs Se Mera Milna Mumkin Hi Nahi
Mein Pyaas Ka Sehra Hun Wo Barsaat Ki Maanind

Samjhao Mohsin Us Ko Ke Ab Reham Kare
Dukh Baant’ta Phirta Hai Woh Soghaat Ki Maanind
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tum jab aaogi to khoya hua paogi mujhe-RAMZ..

तुम जब आओगी तो खोया हुआ पाओगी मुझे
मेरी तन्हाई में ख़्वाबों के सिवा कुछ भी नहीं
मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं

इन किताबों ने बड़ा ज़ुल्म किया है मुझ पर
इन में इक रम्ज़ है जिस रम्ज़ का मारा हुआ ज़ेहन
मुज़्दा-ए-इशरत-ए-अंजाम नहीं पा सकता
ज़िंदगी में कभी आराम नहीं पा सकता

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tum jab aaogi to khoya hua paogi mujhe
meri tanha.i men khvabon ke siva kuchh bhi nahin
mere kamre ko sajane ki tamanna hai tumhen
mere kamre men kitabon ke siva kuchh bhi nahin

in kitabon ne baDa zulm kiya hai mujh par
in men ik ramz hai jis ramz ka maara hua zehn
muzhda-e-ishrat-e-anjam nahin pa sakta
zindagi men kabhi aram nahin pa sakta
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yeh gham kya dil ki aadat hai nahin toh..

ये ग़म क्या दिल की आदत है? नही तो,
किसी से कुछ शिकायत है? नही तो
है वो एक ख्वाब-ए-बे-ताबीर,
उसे भूला देने की नीयत है? नही तो
किसी के बिन , किसी की याद के बिन,
जिये जाने की हिम्मत है? नही तो
किसी सूरत भी दिल लगता नही? हां,
तो कुछ दिन से ये हालात है? नही तो
तुझे जिसने कही का भी नही रखा,
वो एक जाति सी वहशत है? नही तो
तेरे इस हाल पर है सब को हैरत,      
तुझे भी इस पे हैरत है? नही तो
हम-आहंगी नही दुनिया से तेरी,
तुझे इस पर नदामत है? नही तो
वो दरवेशी जो तज कर आ गया…..तू
यह दौलत उस की क़ीमत है? नहीं तो
हुआ जो कुछ यही मक़सूम था क्या?
यही सारी हिकायत है? नही तो
अज़ीयत-नाक उम्मीदों से तुझको,
अमन पाने की हसरत है? नही तो
तू रहता है ख्याल-ओ-ख्वाब में गम,
तो इस वजह से फुरसत है? नही तो
वहां वालों से है इतनी मोहोब्बत,
यहां वालों से नफरत है? नही तो
सबब जो इस जुदाई का बना है,
वो मुझसे खुबसूरत है? नही तो

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Yeh gham kya dil ki aadat hai? nahin to 
Kisi se kuch shikaayat hai? nahin to
Hai woh ek khwaab-e-be-taabeer isko
Bhula dene ki neeyat hai? nahin to
Kisi ke bin, kisi ki yaad ke bin 
Jiye jaane ki himmat hai? nahin to 
Kisi soorat bhi dil lagta nahin? haan
To kuch din se yeh haalat hai? nahin to 
Tujhe jisne kahin ka bhi na rakha
Woh ek zaati si wehshat hai? nahin to
Tere is haal par hai sab ko hairat Tujhe bhi is pe hairat hai? nahin to
Hum-aahangi nahin duniya se teri 
Tujhe is par nadaamat hai? nahin to
Wo darweshi jo taz kar aa gya….tu
Yah daulat uski keemat hai? nahin to
Hua jo kuch yehi maqsoom tha kya?  Yahi saari hikaayat hai? nahin to
Azeeyat-naak ummeedon se tujhko
Aman paane ki hasrat hai? nahin to
Tu rehta hai khayaal-o-khwaab mein gum 
To is wajah se fursat hai? nahin to
Wahan waalon se hai itni mohabbat
Yahaan waalon se nafrat hai? nahin to 
Sabab jo is judaai ka bana hai 
Wo mujh se khubsoorat hai? nahin to.
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Tum Haqeeqat Nahin Ho Hasrat Ho..

तुम हक़ीक़त नहीं हो हसरत हो
जो मिले ख़्वाब में वो दौलत हो

तुम हो ख़ुशबू के ख़्वाब की ख़ुशबू
और इतने ही बेमुरव्वत हो

तुम हो पहलू में पर क़रार नहीं
यानी ऐसा है जैसे फुरक़त हो

है मेरी आरज़ू के मेरे सिवा
तुम्हें सब शायरों से वहशत हो

किस तरह छोड़ दूँ तुम्हें जानाँ
तुम मेरी ज़िन्दगी की आदत हो

किसलिए देखते हो आईना
तुम तो ख़ुद से भी ख़ूबसूरत हो

दास्ताँ ख़त्म होने वाली है
तुम मेरी आख़िरी मुहब्बत हो

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Tum Haqeeqat Nahin Ho Hasrat Ho
Jo Mile Khwaab Mein woh Daulat Ho

Main Tumhaare Hi Dam Se Zinda Hoon
Mar Hi Jaaun Jo Tum Se Fursat Ho

Tum Ho Khushbu Ke Khwaab Ki Khushbu
Aur Utni Hi, Be-Murawwat Ho

Tum Ho Pahlu Mein Par Qaraar Nahin
Yani Aisa Hai Jaise Furqat Ho

Tum Ho Angdaai Rang-O-Nikhat Ki
Kaise Angdaai Se Shikaayat Ho

Kis Tarah Chhor Doon Tumhein Jaanaan
Tum Meri Zindagi Ki Aadat Ho

Kis Liye Dekhti Ho Aayeena
Tum To Khud Se Bhi Khoobsoorat Ho

Daastaan Khatm Hone Waali Hai
Tum Meri Aakhri Muhabbat Ho

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