Is ek dar se Khwab dekhta nhi mai.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 इस एक डर से ख़्वाब देखता नहीं जो देखता हूँ मैं वो भूलता नहींकिसी मुंडेर पर कोई दिया जलाफिर इस के बाद क्या हुआ पता नहींअभी से हाथ काँपने लगे मिरेअभी तो मैं ने वो बदन छुआ नहींमैं आ रहा था रास्ते में फुल थेमैं जा रहा हूँ कोई रोकता नहींतिरी तरफ़ चले तो उम्र कट गईये और बात रास्ता कटा नहींमैं राह से भटक गया तो क्या हुआचराग़ मेरे हाथ में तो था नहींमैं इन दिनों हूँ ख़ुद से इतना बे-ख़बरमैं बुझ चुका हूँ और मुझे पता नहींइस अज़दहे की आँख पूछती रहींकिसी को ख़ौफ़ आ रहा है या नहींये इश्क़ भी अजब कि एक शख़्स सेमुझे लगा कि हो गया हुआ नहींख़ुदा करे वो पेड़ ख़ैरियत से होकई दिनों से उस का राब्ता नहीं Read more dar se khawab tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan