maine ye kab kaha ki wo mujhe kabhi akela nahi chhodta.. byTehzeeb Hafi August 19, 2023 मैंने ये कब कहा की वो मुझे अकेला नही छोड़ताछोड़ता है मगर एक दिन से ज्यादा नहीं छोड़ताकौन शहराओ की प्यास है इन मकानो की बुनियाद मेबारिश से बच भी जाये तो दरिया नहीं छोड़तामैं जिस से छुप कर तुमसे मिला हूँ अगर आज वोदेख लेता तो शायद वो दोनों को ज़िंदा नहीं छोड़तातय-शुदा वक़्त पर पहुँच जाता है वो प्यार करने वसूलजिस तरह अपना कर्जा कोई बनिया नहीं छोडताआज पहली दफा उसे मिलना है और एक खदशा भी हैवो जिसे छोड़ देता है उसे कही का नहीं छोड़ता----------------------------------------------------maine ye kab kaha ki wo mujhe kabhi akela nahi chhodtachhodta hai magar ek din se jyada nahi chhodtakaun shehrao ki pyaas hai in makano ki buniyad mebarish se bach bhi jaye to dariya nahi chhodtamai jis se chhup kar tumse mila hoo agar aaj wodekh leta to shayad wo dono ko jinda nahi chhodtatay-shuda wqt pr pahunch jata hai wo pyaar krne wasooljis tar aona karza koi baniya nahi chhodtaaaj pehli dafa use milna haui aur ek khadsa bhi haiwo jise chhod deta hai use kahi ka nhi chhodta. Read more maine ye kab kaha tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Khaak hi khaak thi aur khaak bhi kya kuch nahin tha.. byTehzeeb Hafi August 15, 2023 ख़ाक ही ख़ाक थी और ख़ाक भी क्या कुछ नहीं थामैं जब आया तो मेरे घर की जगह कुछ नहीं था।क्या करूं तुझसे ख़यानत नहीं कर सकता मैंवरना उस आंख में मेरे लिए क्या कुछ नहीं था।ये भी सच है मुझे कभी उसने कुछ ना कहाये भी सच है कि उस औरत से छुपा कुछ नहीं था।अब वो मेरे ही किसी दोस्त की मनकूहा हैमै पलट जाता मगर पीछे बचा कुछ नहीं था।--------------------------------------Khaak hi khaak thi aur khaak bhi kya kuch nahin thaMai jab aaya to mere ghar ki jagah kuch nahin thaKya karoon tujhse khayanat nahin kar sakta mainWarna us aankh mein mere liye kya kuch nahin thaYe bhi sach hai mujhe kabhi usne kuch na kahaYe bhi sach hai ki us aurat se chhupa kuch nahin thaAb wo mere hi kisi dost ki mankooha haiMain palat jaata magar peechhe bacha kuch nahin tha. Read more ab wo mere hi kisi dost ki tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Jab wo iss duniya ke shor aur khamoshi se.. byTehzeeb Hafi August 15, 2023 जब वो इस दुनिया के शोर और ख़मोशी से क़त'अ-तअल्लुक़ होकर इंग्लिश में गुस्सा करती है,मैं तो डर जाता हूँ लेकिन कमरे की दीवारें हँसने लगती हैंवो इक ऐसी आग है जिसे सिर्फ़ दहकने से मतलब है,वो इक ऐसा फूल है जिसपर अपनी ख़ुशबू बोझ बनी है,वो इक ऐसा ख़्वाब है जिसको देखने वाला ख़ुद मुश्किल में पड़ सकता है,उसको छूने की ख़्वाइश तो ठीक है लेकिनपानी कौन पकड़ सकता हैवो रंगों से वाकिफ़ है बल्कि हर इक रंग के शजरे तक से वाकिफ़ है,उसको इल्म है किन ख़्वाबों से आंखें नीली पढ़ सकती हैं,हमने जिनको नफ़रत से मंसूब कियावो उन पीले फूलों की इज़्ज़त करती हैकभी-कभी वो अपने हाथ मे पेंसिल लेकरऐसी सतरें खींचती हैसब कुछ सीधा हो जाता हैवो चाहे तो हर इक चीज़ को उसके अस्ल में ला सकती है,सिर्फ़ उसीके हाथों से सारी दुनिया तरतीब में आ सकती है,हर पत्थर उस पाँव से टकराने की ख़्वाइश में जिंदा है लेकिन ये तो इसी अधूरेपन का जहाँ है,हर पिंजरे में ऐसे क़ैदी कब होते हैंहर कपड़े की किस्मत में वो जिस्म कहाँ हैमेरी बे-मक़सद बातों से तंग भी आ जाती है तो महसूस नहीं होने देतीलेकिन अपने होने से उकता जाती है,उसको वक़्त की पाबंदी से क्या मतलब हैवो तो बंद घड़ी भी हाथ मे बांध के कॉलेज आ जाती है Read more paani kaun pakad sakta hai tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Thoda likha aur jyada chhod diya.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 थोड़ा लिक्खा और ज़ियादा छोड़ दियाआने वालों के लिए रस्ता छोड़ दियातुम क्या जानो उस दरिया पर क्या गुज़रीतुमने तो बस पानी भरना छोड़ दियालड़कियाँ इश्क़ में कितनी पागल होती हैंफ़ोन बजा और चूल्हा जलता छोड़ दियारोज़ इक पत्ता मुझ में आ गिरता हैजब से मैंने जंगल जाना छोड़ दियाबस कानों पर हाथ रखे थे थोड़ी देरऔर फिर उस आवाज़ ने पीछा छोड़ दिए Read more tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Tera chup rehna mere zehan me kya baith gaya.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 तेरा चुप रहना मेरे ज़हन में क्या बैठ गयाइतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गयायूँ नहीं है कि फ़क़त मैं ही उसे चाहता हूँजो भी उस पेड़ की छाँव में गया बैठ गयाइतना मीठा था वो ग़ुस्से भरा लहजा मत पूछउस ने जिस को भी जाने का कहा, बैठ गयाअपना लड़ना भी मोहब्बत है तुम्हें इल्म नहींचीख़ती तुम रही और मेरा गला बैठ गयाउस की मर्ज़ी वो जिसे पास बिठा ले अपनेइस पे क्या लड़ना फुलाँ मेरी जगह बैठ गयाबात दरियाओं की, सूरज की, न तेरी है यहाँदो क़दम जो भी मेरे साथ चला बैठ गयाबज़्म-ए-जानाँ में नशिस्तें नहीं होतीं मख़्सूसजो भी इक बार जहाँ बैठ गया बैठ गया Read more Tera chup rehna tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Tarikhio ko aag Lage aur diya jale.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 तारीकियों को आग लगे और दिया जलेये रात बैन करती रहे और दिया जलेउस की ज़बाँ में इतना असर है कि निस्फ़ शबवो रौशनी की बात करे और दिया जलेतुम चाहते हो तुम से बिछड़ के भी ख़ुश रहूँया’नी हवा भी चलती रहे और दिया जलेक्या मुझ से भी अज़ीज़ है तुम को दिए की लौफिर तो मेरा मज़ार बने और दिया जलेसूरज तो मेरी आँख से आगे की चीज़ हैमैं चाहता हूँ शाम ढले और दिया जलेतुम लौटने में देर न करना कि ये न होदिल तीरगी में घेर चुके और दिया जले Read more diya jale tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Parai aag par roti nhi banaunga.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 पराई आग पे रोटी नहीं बनाऊँगामैं भीग जाऊँगा छतरी नहीं बनाऊँगाअगर ख़ुदा ने बनाने का इख़्तियार दियाअलम बनाऊँगा बर्छी नहीं बनाऊँगाफ़रेब दे के तिरा जिस्म जीत लूँ लेकिनमैं पेड़ काट के कश्ती नहीं बनाऊँगागली से कोई भी गुज़रे तो चौंक उठता हूँनए मकान में खिड़की नहीं बनाऊँगामैं दुश्मनों से अगर जंग जीत भी जाऊँतो उन की औरतें क़ैदी नहीं बनाऊँगातुम्हें पता तो चले बे-ज़बान चीज़ का दुखमैं अब चराग़ की लौ ही नहीं बनाऊँगामैं एक फ़िल्म बनाऊँगा अपने ‘सरवत’ परऔर इस में रेल की पटरी नहीं बनाऊँगा Read more Parai aage par tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Kya khabar us raushani me aur kya raushan hua.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 क्या खबर उस रौशनी में और क्या क्या रोशन हुआजब वो इन हाथों से पहली बार रोशन रोशन हुआवो मेरे सीने से लग कर जिसको रोइ वो कौन थाकिसके बुझने पर आज मै उसकी जगह रोशन हुआतेरे अपने तेरी किरणो को तरसते हैं यहाँतू ये किन गलियों में किन लोगो में जा रोशन हुआअब उस ज़ालिम से इस कसरत से तौफे आ रहे हैंकी हम घर में नई अलमारियां बनवा रहे हैंहमे मिलना तो इन आवादियों से दूर मिलनाउसे कहना गए वक्तों में हम दरिया रहे हैंबिछड़ जाने का सोचा तो नहीं था हमने लेकिनतुझे खुश रखने की कोसिस में दुःख पंहुचा रहे हैं Read more us raushani me tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Kise Khabar hai Umar bas ispe gaur karne me Katt rhi hai .. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 किसे ख़बर है कि उम्र बस उस पे ग़ौर करने में कट रही है कि ये उदासी हमारे जिस्मों से किस ख़ुशी में लिपट रही हैअजीब दुख है हम उस के हो कर भी उस को छूने से डर रहे हैंअजीब दुख है हमारे हिस्से की आग औरों में बट रही हैमैं उस को हर रोज़ बस यही एक झूट सुनने को फ़ोन करतासुनो यहाँ कोई मसअला है तुम्हारी आवाज़ कट रही हैमुझ ऐसे पेड़ों के सूखने और सब्ज़ होने से क्या किसी कोये बेल शायद किसी मुसीबत में है जो मुझ से लिपट रही हैये वक़्त आने पे अपनी औलाद अपने अज्दाद बेच देगीजो फ़ौज दुश्मन को अपना सालार गिरवी रख कर पलट रही हैसो इस तअ'ल्लुक़ में जो ग़लत-फ़हमियाँ थीं अब दूर हो रही हैंरुकी हुई गाड़ियों के चलने का वक़्त है धुंध छट रही है Read more tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan
Kadam rakhta hai yaar jab Ahishta Ahishta.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 क़दम रखता है जब रस्तों पे यार आहिस्ता आहिस्तातो छट जाता है सब गर्द-ओ-ग़ुबार आहिस्ता आहिस्ताभरी आँखों से हो के दिल में जाना सहल थोड़ी हैचढ़े दरियाओं को करते हैं पार आहिस्ता आहिस्तानज़र आता है तो यूँ देखता जाता हूँ मैं उस कोकि चल पड़ता है जैसे कारोबार आहिस्ता आहिस्ताउधर कुछ औरतें दरवाज़ों पर दौड़ी हुई आईंइधर घोड़ों से उतरे शहसवार आहिस्ता आहिस्ताकिसी दिन कारख़ाना-ए-ग़ज़ल में काम निकलेगापलट आएँगे सब बे-रोज़गार आहिस्ता आहिस्तातिरा पैकर ख़ुदा ने भी तो फ़ुर्सत में बनाया थाबनाएगा तिरे ज़ेवर सुनार आहिस्ता आहिस्तामिरी गोशा-नशीनी एक दिन बाज़ार देखेगीज़रूरत कर रही है बे-क़रार आहिस्ता आहिस्तावो कहता है हमारे पास आओ पर सलीके सेके जैसे आगे बढ़ती है कतार आहिस्ता आहिस्ता Read more Ahishta Ahishta tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan