Kadam rakhta hai yaar jab Ahishta Ahishta.. byTehzeeb Hafi August 13, 2023 क़दम रखता है जब रस्तों पे यार आहिस्ता आहिस्तातो छट जाता है सब गर्द-ओ-ग़ुबार आहिस्ता आहिस्ताभरी आँखों से हो के दिल में जाना सहल थोड़ी हैचढ़े दरियाओं को करते हैं पार आहिस्ता आहिस्तानज़र आता है तो यूँ देखता जाता हूँ मैं उस कोकि चल पड़ता है जैसे कारोबार आहिस्ता आहिस्ताउधर कुछ औरतें दरवाज़ों पर दौड़ी हुई आईंइधर घोड़ों से उतरे शहसवार आहिस्ता आहिस्ताकिसी दिन कारख़ाना-ए-ग़ज़ल में काम निकलेगापलट आएँगे सब बे-रोज़गार आहिस्ता आहिस्तातिरा पैकर ख़ुदा ने भी तो फ़ुर्सत में बनाया थाबनाएगा तिरे ज़ेवर सुनार आहिस्ता आहिस्तामिरी गोशा-नशीनी एक दिन बाज़ार देखेगीज़रूरत कर रही है बे-क़रार आहिस्ता आहिस्तावो कहता है हमारे पास आओ पर सलीके सेके जैसे आगे बढ़ती है कतार आहिस्ता आहिस्ता Read more Ahishta Ahishta tehzeeb hafi urdu poetry andaaz e bayan