insha

Farz Karo-Ibn-e-insha..

फ़र्ज़ करो हम अहल-ए-वफ़ा हों, फ़र्ज़ करो दीवाने हों
फ़र्ज़ करो ये दोनों बातें झूटी हों अफ़्साने हों

फ़र्ज़ करो ये जी की बिपता जी से जोड़ सुनाई हो
फ़र्ज़ करो अभी और हो इतनी आधी हम ने छुपाई हो

फ़र्ज़ करो तुम्हें ख़ुश करने के ढूँढे हम ने बहाने हों
फ़र्ज़ करो ये नैन तुम्हारे सच-मुच के मय-ख़ाने हों

फ़र्ज़ करो ये रोग हो झूटा झूटी पीत हमारी हो
फ़र्ज़ करो इस पीत के रोग में साँस भी हम पर भारी हो

फ़र्ज़ करो ये जोग बजोग का हम ने ढोंग रचाया हो
फ़र्ज़ करो बस यही हक़ीक़त बाक़ी सब कुछ माया हो

देख मिरी जाँ कह गए बाहू कौन दिलों की जाने 'हू'
बस्ती बस्ती सहरा सहरा लाखों करें दिवाने 'हू'

जोगी भी जो नगर नगर में मारे मारे फिरते हैं
कासा लिए भबूत रमाए सब के द्वारे फिरते हैं

शाइ'र भी जो मीठी बानी बोल के मन को हरते हैं
बंजारे जो ऊँचे दामों जी के सौदे करते हैं

इन में सच्चे मोती भी हैं, इन में कंकर पत्थर भी
इन में उथले पानी भी हैं, इन में गहरे सागर भी

गोरी देख के आगे बढ़ना सब का झूटा सच्चा 'हू'
डूबने वाली डूब गई वो घड़ा था जिस का कच्चा 'हू'
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ek chhota sa ladka tha main jin dinon..

एक छोटा सा लड़का था मैं जिन दिनों
एक मेले में पहुँचा हुमकता हुआ
जी मचलता था एक एक शय पर
जैब ख़ाली थी कुछ मोल ले न सका
लौट आया लिए हसरतें सैंकड़ों
एक छोटा सा लड़का था मैं जिन दिनो


ख़ैर महरूमियों के वो दिन तो गए
आज मेला लगा है उसी शान से 
आज चाहूँ तो इक इक दुकाँ मोल लूँ 
आज चाहूँ तो सारा जहाँ मोल लूँ 
ना-रसाई का अब जी में धड़का कहाँ 
पर वो छोटा सा अल्हड़ सा लड़का कहाँ 

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ek chhota sa ladka tha main jin dinon
ek mele men pahuncha humakta hua 
ji machalta tha ek ek shai par 
jaib khali thi kuchh mol le na saka 
lauT aaya liye hasraten sainkaDon 
ek chhoTa sa laDka tha main jin dinon 

khair mahrumiyon ke vo din to ga.e 
aaj mela laga hai usi shaan se 
aaj chahun to ik ik dukan mol luun 
aaj chahun to saara jahan mol luun 
na-rasa.i ka ab ji men dhaDka kahan 
par vo chhoTa sa alhaD sa laDka kahan
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