young poet

Top 20 most famous Shayari of Abbas Tabish..

1- tohmat utaar phenki labaada badal liya
khud ko zaruraton se ziyaada badal liya

2- Kya tamaasha hai ki sab mujhko bura kahte hain,
Aur sab chahte hain meri tarah ka hona.

3- Ek muddat se meri maa nahi soi 'Tabish',
Main ne ik baar kaha tha mujhe dar lagta hai.

4- Yeh jo hai phool hatheli pe, isey phool na jaan,
Mera dil jism se bahar bhi toh ho sakta hai.

5- Main apne baad bohot yaad aaya karta hoon,
Tum apne paas na rakhna koi nishani meri.

6- Sunhari ladkiyon, inko milo milo na milo,
Gareeb hote hain bas khwaab dekhne ke liye.

7- Dekh kaise dhul gaye hain giriya-o-zaari ke baad,
Aasmaan baarish ke baad aur main azadari ke baad.

8- Yaar ik baar parindon ko hukoomat de do,
Yeh kisi sheher ko maqtal nahi hone denge.

9- Main tere baad koi tere jaisa dhoondhta hoon,
Jo bewafaai kare aur bewafa na lage.

10- Chalta rehne do miyaan silsila dildari ka,
Aashiqi deen nahi hai ki mukammal ho jaye.

11- Muddat ke baad khwaab mein aaya tha mera baap,
Aur usne mujhse itna kaha, khush raha karo.

12- Aadat se uske liye phool khareede warna,
Nahi maloom woh is baar yahaan hai ki nahi.

13- Hum hain sukhe hue talab pe baithe hue hans,
Jo taalluq ko nibhaate hue mar jaate hain.

14- Main ne poocha tha ki izhaar nahi ho sakta,
Dil pukara ki khabar-daar nahi ho sakta.

15- Yeh mohabbat ki kahani nahi marti lekin,
Log kirdaar nibhaate hue mar jaate hain.

16- Shayad kisi bala ka tha saaya darakht par,
Chidiyon ne raat shor machaya darakht par.

17- Paanv padta hua rasta nahi dekha jaata,
Jaane waale tera jaana nahi dekha jaata.

18- Main apne aap mein gehra utar gaya shaayad,
Mere safar se alag ho gayi rawani meri.

19- Maine aankhon ke kinare bhi na tar hone diye,
Jis taraf se aaya tha sailaab wapas kar diya.

20- Bohat bekaar mausam hai lekin kuch kaam karna hai,
Ki taaza zakhm milne tak purana zakhm bharna hai.
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1-तोहमत उतार फेंकी लबादा बदल लिया
ख़ुद को ज़रूरतों से ज़ियादा बदल लिया

2- क्या तमाशा है कि सब मुझको बुरा कहते हैं
और सब चाहते हैं मेरी तरह का होना

3- एक मुद्दत से मिरी माँ नहीं सोई 'ताबिश'
मैं ने इक बार कहा था मुझे डर लगता है

4- ये जो है फूल हथेली पे इसे फूल न जान
मेरा दिल जिस्म से बाहर भी तो हो सकता है

5- मैं अपने बाद बहुत याद आया करता हूँ
तुम अपने पास न रखना कोई निशानी मेरी

6- सुनहरी लड़कियों इनको मिलो मिलो न मिलो
ग़रीब होते हैं बस ख़्वाब देखने के लिए

7- देख कैसे धुल गए है गिर्या-ओ-ज़ारी के बाद
आसमाँ बारिश के बाद और मैं अज़ादारी के बाद

8- यार इक बार परिंदों को हुकूमत दे दो
ये किसी शहर को मक़्तल नहीं होने देंगे

9- मैं तेरे बाद कोई तेरे जैसा ढूँढता हूँ
जो बेवफ़ाई करे और बेवफ़ा न लगे

10- चलता रहने दो मियाँ सिलसिला दिलदारी का
आशिक़ी दीन नहीं है कि मुकम्मल हो जाए

11- मुद्दत के बाद ख़्वाब में आया था मेरा बाप
और उसने मुझसे इतना कहा ख़ुश रहा करो

12- आदतन उसके लिए फूल ख़रीदे वरना
नहीं मालूम वो इस बार यहाँ है कि नहीं

13- हम हैं सूखे हुए तालाब पे बैठे हुए हंस
जो तअ'ल्लुक़ को निभाते हुए मर जाते हैं

14- मैं ने पूछा था कि इज़हार नहीं हो सकता
दिल पुकारा कि ख़बर-दार नहीं हो सकता

15- ये मोहब्बत की कहानी नहीं मरती लेकिन
लोग किरदार निभाते हुए मर जाते हैं

16- शायद किसी बला का था साया दरख़्त पर
चिड़ियों ने रात शोर मचाया दरख़्त पर

17- पाँव पड़ता हुआ रस्ता नहीं देखा जाता
जाने वाले तिरा जाना नहीं देखा जाता

18- मैं अपने आप में गहरा उतर गया शायद
मिरे सफ़र से अलग हो गई रवानी मिरी

19- मैंने आँखों के किनारे भी न तर होने दिए
जिस तरफ़ से आया था सैलाब वापस कर दिया

20- बहुत बेकार मौसम है मगर कुछ काम करना है
कि ताज़ा ज़ख़्म मिलने तक पुराना ज़ख़्म भरना है
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Murshid - Afkar Alvi ..

मुर्शिद प्लीज़ आज मुझे वक़्त दीजिये
मुर्शिद मैं आज आप को दुखड़े सुनाऊँगा
मुर्शिद हमारे साथ बड़ा ज़ुल्म हो गया
मुर्शिद हमारे देश में इक जंग छिड़ गयी
मुर्शिद सभी शरीफ़ शराफ़त से मर गए
मुर्शिद हमारे ज़ेहन गिरफ़्तार हो गए
मुर्शिद हमारी सोच भी बाज़ारी हो गयी
मुर्शिद हमारी फौज क्या लड़ती हरीफ़ से
मुर्शिद उसे तो हम से ही फ़ुर्सत नहीं मिली
मुर्शिद बहुत से मार के हम ख़ुद भी मर गए
मुर्शिद हमें ज़िरह नहीं तलवार दी गयी
मुर्शिद हमारी ज़ात पे बोहतान चढ़ गए
मुर्शिद हमारी ज़ात पलांदों में दब गयी
मुर्शिद हमारे वास्ते बस एक शख़्स था
मुर्शिद वो एक शख़्स भी तक़दीर ले उड़ी
मुर्शिद ख़ुदा की ज़ात पे अंधा यक़ीन था
अफ़्सोस अब यक़ीन भी अंधा नहीं रहा
मुर्शिद मुहब्बतों के नताइज कहाँ गए
मुर्शिद मेरी तो ज़िन्दगी बर्बाद हो गयी
मुर्शिद हमारे गाँव के बच्चों ने भी कहा
मुर्शिद कूँ आखि आ के सदा हाल देख वजं
मुर्शिद हमारा कोई नहीं एक आप हैं
ये मैं भी जानता हूँ के अच्छा नहीं हुआ
मुर्शिद मैं जल रहा हूँ हवाएँ न दीजिये
मुर्शिद अज़ाला कीजिये दुआएँ न दीजिये
मुर्शिद ख़मोश रह के परेशाँ न कीजिये
मुर्शिद मैं रोना रोते हुए अंधा हो गया
और आप हैं के आप को एहसास तक नहीं
हह! सब्र कीजे सब्र का फ़ल मीठा होता है
मुर्शिद मैं भौंकदै हाँ जो कई शे वि नहीं बची
मुर्शिद वहां यज़ीदियत आगे निकल गयी
और पारसा नमाज़ के पीछे पड़े रहे
मुर्शिद किसी के हाथ में सब कुछ तो है मगर
मुर्शिद किसी के हाथ में कुछ भी नहीं रहा
मुर्शिद मैं लड़ नहीं सका पर चीख़ता रहा
ख़ामोश रह के ज़ुल्म का हामी नहीं बना
मुर्शिद जो मेरे यार भला छोड़ें रहने दें
अच्छे थे जैसे भी थे ख़ुदा उन को ख़ुश रखें
मुर्शिद हमारी रौनकें दूरी निगल गयी
मुर्शिद हमारी दोस्ती सुब्हात खा गए
मुर्शिद ऐ फोटो पिछले महीने छिकाया हम
हूँ मेकुं देख लगदा ऐ जो ऐ फोटो मेदा ऐ
ये किस ने खेल खेल में सब कुछ उलट दिया
मुर्शिद ये क्या के मर के हमें ज़िन्दगी मिले
मुर्शिद हमारे विरसे में कुछ भी नहीं सो हम
बेमौसमी वफ़ात का दुख छोड़ जाएंगे
मुर्शिद किसी की ज़ात से कोई गिला नहीं
अपना नसीब अपनी ख़राबी से मर गया
मुर्शिद वो जिस के हाथ में हर एक चीज़ है
शायद हमारे साथ वही हाथ कर गया
मुर्शिद दुआएँ छोड़ तेरा पोल खुल गया
तू भी मेरी तरह है तेरे बस में कुछ नहीं
इंसान मेरा दर्द समझ सकते ही नहीं
मैं अपने सारे ज़ख्म ख़ुदा को दिखाऊँगा
ऐ रब्बे कायनात! इधर देख मैं फ़कीर
जो तेरी सरपरस्ती में बर्बाद हो गया
परवरदिगार बोल कहाँ जाएँ तेरे लोग
तुझ तक पहुँचने को भी वसीला ज़रूरी है
परवरदिगार आवे का आवा बिगड़ गया
ये किसको तेरे दीन के ठेके दिए गये
हर शख़्स अपने बाप के फिरके में बंद है
परवरदिगार तेरे सहीफे नहीं खुले
कुछ और भेज तेरे गुज़िश्ता सहीफों से
मक़सद ही हल हुए हैं मसाइल नहीं हुए
जो हो गया सो हो गया, अब मुख़्तियारी छीन
परवरदिगार अपने ख़लीफे को रस्सी डाल
जो तेरे पास वक़्त से पहले पहुँच गये
परवरदिगार उनके मसाइल का हल निकाल
परवरदिगार सिर्फ़ बना देना काफ़ी नइँ
तख़्लीक करके दे तो फिर देखभाल कर
हम लोग तेरी कुन का भरम रखने आए हैं
परवरदिगार यार! हमारा ख़याल कर
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