dard

Main ne jo raah li dushvar ziyada nikli..

main ne jo raah li dushvar ziyada nikli
mere andaze se har baar ziyada nikli

koi rauzan na jharoka na koi darvaza
meri taamir men divar ziyada nikli

ye miri maut ke asbāb men likkha hua hai
ḳhuun men ishq ki miqdar ziyada nikli

kitni jaldi diya ghar valon ko phal aur saaya
mujh se to peḌ ki raftar ziyada nikli
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मैंने जो राह ली, दुश्वार ज़्यादा निकली,
मेरे अंदाज़े से हर बार ज़्यादा निकली।

कोई रोशनदान, न झरोखा, न कोई दरवाज़ा,
मेरी तामीर में दीवार ज़्यादा निकली।

ये मेरी मौत के असबाब में लिखा हुआ है,
ख़ून में इश्क़ की मात्रा ज़्यादा निकली।

कितनी जल्दी दिया घरवालों को फल और साया,
मुझसे तो पेड़ की रफ़्तार ज़्यादा निकली।

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