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15th August yahi jagah thi yahi din tha aur yahi lamhat..

यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात
सरों पे छाई थी सदियों से इक जो काली रात
इसी जगह इसी दिन तो मिली थी उस को मात
इसी जगह इसी दिन तो हुआ था ये एलान
अँधेरे हार गए ज़िंदाबाद हिन्दोस्तान
यहीं तो हम ने कहा था ये कर दिखाना है 
जो ज़ख़्म तन पे है भारत के उस को भरना है
जो दाग़ माथे पे भारत के है मिटाना है 
यहीं तो खाई थी हम सब ने ये क़सम उस दिन 
यहीं से निकले थे अपने सफ़र पे हम उस दिन 
यहीं था गूँज उठा वन्दे-मातरम उस दिन 
है जुरअतों का सफ़र वक़्त की है राहगुज़र 
नज़र के सामने है साठ मील का पत्थर 
कोई जो पूछे किया क्या है कुछ किया है अगर 
तो उस से कह दो कि वो आए देख ले आ कर 
लगाया हम ने था जम्हूरियत का जो पौधा 
वो आज एक घनेरा सा ऊँचा बरगद है 
और उस के साए में क्या बदला कितना बदला है 
कब इंतिहा है कोई इस की कब कोई हद है

चमक दिखाते हैं ज़र्रे अब आसमानों को 
ज़बान मिल गई है सारे बे-ज़बानों को 
जो ज़ुल्म सहते थे वो अब हिसाब माँगते हैं 
सवाल करते हैं और फिर जवाब माँगते हैं 
ये कल की बात है सदियों पुरानी बात नहीं 
कि कल तलक था यहाँ कुछ भी अपने हाथ नहीं 
विदेशी राज ने सब कुछ निचोड़ डाला था 
हमारे देश का हर कर्धा तोड़ डाला था 
जो मुल्क सूई की ख़ातिर था औरों का मुहताज 
हज़ारों चीज़ें वो दुनिया को दे रहा है आज 
नया ज़माना लिए इक उमंग आया है 
करोड़ों लोगों के चेहरे पे रंग आया है 
ये सब किसी के करम से न है इनायत से 
यहाँ तक आया है भारत ख़ुद अपनी मेहनत से

जो कामयाबी है उस की ख़ुशी तो पूरी है 
मगर ये याद भी रखना बहुत ज़रूरी है 
कि दास्तान हमारी अभी अधूरी है 
बहुत हुआ है मगर फिर भी ये कमी तो है 
बहुत से होंठों पे मुस्कान आ गई लेकिन 
बहुत सी आँखें है जिन में अभी नमी तो है

यही जगह थी यही दिन था और यही लम्हात 
यहीं तो देखा था इक ख़्वाब सोची थी इक बात 
मुसाफ़िरों के दिलों में ख़याल आता है 
हर इक ज़मीर के आगे सवाल आता है 
वो बात याद है अब तक हमें कि भूल गए 
वो ख़्वाब अब भी सलामत है या फ़ुज़ूल गए 
चले थे दिल में लिए जो इरादे पूरे हुए 
ये कौन है कि जो यादों में चरख़ा कातता है 
ये कौन है जो हमें आज भी बताता है 
है वादा ख़ुद से निभाना हमें अगर अपना 
तो कारवाँ नहीं रुक पाए भूल कर अपना 
है थोड़ी दूर अभी सपनों का नगर अपना 
मुसाफ़िरो अभी बाक़ी है कुछ सफ़र अपना

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yahi jagah thi yahi din tha aur yahi lamhat
saron pe chha.i thi sadiyon se ik jo kaali raat 
isi jagah isi din to mili thi us ko maat 
isi jagah isi din to hua tha ye elaan 
andhere haar ga.e zindabad hindostan 
yahin to ham ne kaha tha ye kar dikhana hai 
jo zakhm tan pe hai bharat ke us ko bharna hai 
jo daagh mathe pe bharat ke hai miTana hai 
yahin to khaa.i thi ham sab ne ye qasam us din 
yahin se nikle the apne safar pe ham us din 
yahin tha guunj uTha vande-matram us din 
hai jur.aton ka safar vaqt ki hai rahguzar 
nazar ke samne hai saaTh miil ka patthar 
koi jo puchhe kiya kya hai kuchh kiya hai agar 
to us se kah do ki vo aa.e dekh le aa kar 
lagaya ham ne tha jamhuriyat ka jo paudha 
vo aaj ek ghanera sa uncha bargad hai 
aur us ke saa.e men kya badla kitna badla hai 
kab intiha hai koi is ki kab koi had hai 

chamak dikhate hain zarre ab asmanon ko 
zaban mil ga.i hai saare be-zabanon ko 
jo zulm sahte the vo ab hisab mangte hain 
saval karte hain aur phir javab mangte hain 
ye kal ki baat hai sadiyon purani baat nahin 
ki kal talak tha yahan kuchh bhi apne haath nahin 
videshi raaj ne sab kuchh nichoD Daala tha 
hamare desh ka har kargha toD Daala tha 
jo mulk suui ki khatir tha auron ka muhtaj 
hazaron chizen vo duniya ko de raha hai aaj 
naya zamana liye ik umang aaya hai 
karoDon logon ke chehre pe rang aaya hai 
ye sab kisi ke karam se na hai inayat se 
yahan tak aaya hai bharat khud apni mehnat se 

jo kamyabi hai us ki khushi to puuri hai 
magar ye yaad bhi rakhna bahut zaruri hai 
ki dastan hamari abhi adhuri hai 
bahut hua hai magar phir bhi ye kami to hai 
bahut se honThon pe muskan aa ga.i lekin 
bahut si ankhen hai jin men abhi nami to hai

yahi jagah thi yahi din tha aur yahi lamhat 
yahin to dekha tha ik khvab sochi thi ik baat 
musafiron ke dilon men khayal aata hai 
har ik zamir ke aage saval aata hai 
vo baat yaad hai ab tak hamen ki bhuul ga.e 
vo khvab ab bhi salamat hai ya fuzul ga.e 
chale the dil men liye jo irade puure hue 
ye kaun hai ki jo yadon men charkha kat.ta hai 
ye kaun hai jo hamen aaj bhi batata hai 
hai va.ada khud se nibhana hamen agar apna 
to karvan nahin ruk paa.e bhuul kar apna 
hai thoDi duur abhi sapnon ka nagar apna 
musafiro abhi baaqi hai kuchh safar apna
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ye haadsaa to kisi din gujarne wala hi tha..

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था
मैं बच भी जाता तो इक रोज़ मरने वाला था

तेरे सलूक तेरी आगही की उम्र दराज़
मेरे अज़ीज़ मेरा ज़ख़्म भरने वाला था

बुलंदियों का नशा टूट कर बिखरने लगा
मेरा जहाज़ ज़मीन पर उतरने वाला था

मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए वर्ना
मैं तेरी माँग में सिंदूर भरने वाला था

मेरे चिराग मेरी शब मेरी मुंडेरें हैं
मैं कब शरीर हवाओं से डरने वाला था
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Bulati hai magar jane ka nai..

बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं

सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं

वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं

वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं

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Bulati Hai Magar Jaane Ka Nai
Ye Duniya Hai Idhar Jaane Ka Nai

Mere Bete Kisi Se Ishq Kar
Magar Had Se Gujar Jaane Ka Nai

Sitare Noch Kar Le Jaaunga
Mein Khali Haath Ghar Jaane Waala Nai

Waba Faili Hui Hai Har Taraf
Abhi Maahaul Mar Jaane Ka Nai

Wo Gardan Naapta Hai, Naap Le
Magar Zaalim Se Dar Jaane Ka Nai
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uski kathai aankho me hai jantar-mantar sab..

उसकी कत्थई आँखों में हैं जंतर मंतर सब
चाक़ू-वाक़ू, छुरियां-वुरियां, ख़ंजर-वंजर सब

जिस दिन से तुम रूठीं, मुझ से, रूठे रूठे हैं
चादर-वादर, तकिया-वकिया, बिस्तर-विस्तर सब

मुझसे बिछड़ कर, वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े-वपड़े, ज़ेवर-वेवर सब

जाने मैं किस दिन डूबूँगा, फिक्रें करते हैं
दरिया-वरीया, कश्ती-वस्ती, लंगर-वंगर सब

इश्क़-विश्क़ के सारे नुस्खे, मुझसे सीखते हैं
ताहिर-वाहिर, मंज़र-वंजर, जोहर-वोहर सब

तुलसी ने जो लिखा अब कुछ बदला बदला हैं
रावण-वावण, लंका-वंका, बन्दर-वंदर सब

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uski kathai aankho me hai jantar-mantar sab
chaaku-waaku,chhuri-wuri,khanjar-wanjar sab

jis din se tum ruthi,mujhse ruthe hain
chaadar-waadar,takiya-wakiya,bistar-wistar sab

mujhse bichhar ke wo kahaa pahle jaisi hai
dhile par gaye kapde-wapre,zewar-webar sab

jane mai kis din dooboonga,fikrein karte hain,
dariya-variya kashti-vashti,langar-vangar sab

ishq vishq ke sare nuskhe muhse sikhte hein,
sagar vagar manzar vanzar johar vohar sab.

tulsi ne jo likha ab kuch badla-badla hai,
ravan-vavan,lanka-vanka,bandar-vandar sab
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